Sun. Jul 13th, 2025
लेखक – हरीश दर्शन शर्मा

फोन की घण्टी लगातार बज रही थी , थाने तैनात सखाराम ने फोन उठाया – हेलो , पोलिस स्टेशन , फोन के दूसरे तरफ से आई आवाज़ ने सखाराम की सुबह की सुस्ती एकदम से उड़ा  दी | उसने चौंकते हुए कहा – क्या ? कहाँ , कब ?  सखाराम ने जो सुना , उससे पुरे थाने में भगदड़ सी मच गई | कुछ ही देर में इंस्पेक्टर नीरज सक्सेना की पोलिस जीप सायरन बजाती सड़क पर दौड़ रही थी | ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठे इंस्पेक्टर नीरज सक्सेना लगातार वायरलेस पर बात कर रहे थे | 

     – सर मै लोकेशन पर पहुंच रहा हु | सर वहां पेट्रलिंग के दो सिपाही है , मै भी बस पहुंच ही गया | 

 इंस्पेक्टर नीरज की जीप, कच्ची सड़क पर धुआँ उड़ाते, शहर की सीमा से लगे एक गांव की तरफ बढ़ रही थी |  पर गांव पहुंचने से पहले ही सड़क से लगे एक खेत में दूर कुएं के पास बहुत सी भीड़ देख कर , इस्पेक्टर अचानक बोला – अरे बस  बस  , शायद यही है | चलो उस भीड़ की तरफ , 

 ड्राइवर ने जीप , मुख्य सड़क से उतार कर खेत की तरफ मोड़ ली |  

    भीड़ में खड़ा जस्सू बोल रहा था – अरे कल तो मैंने इसको देखा था यार 

  रामु बोलै – हाँ यार मेरी दूकान से ही तो कल ये निकला था इसके साथ एक और वो अपना पंकज भी था | 

इतने में इस्पेक्टर भी भीड़ को हटाते  हुए भीड़ के बीच पहुंच जाता है | कुए के किनारे पड़ी लाश देख कर इंपेक्टर एक पल के लिए ठिठक गया | एक ३०-३२ वर्षीय युवक की लाश आधी कुएं की मुंडेर के सहारे पड़ी थी | लाश का चेहरा और कंधे बुरी तरह जले हुए थे | लाश के समीप ही हवलदारों ने इंपेक्टर को लाश के आस पास मौजूद लाइटर , सिगरेट के टुकड़े , दारू की बोतल , टूटे हुए ग्लास के साथ मिटटी के तेल की बोतल , और एक गमछे के बारे में बताया | 

हवालदार – साहब लाश की पहचान हो गई है ये इसी गांव में रहने वाले भीमा पाटीदार की लाश है | 

दूसरे हवालदार ने कहा  – कल रात को ही गांव के लोगो ने इसे किसी के साथ खेत की तरफ आते देखा था |  साफ़ दिख रोइया है साब हत्या हुई है इसकी | 

हवलदार के बड़बोलेपन पर इंप्रेक्टर ने उसे घूर कर देखा जिससे वो हवलदार एक दम्म चुप हो गया | 

पहले हवलदार ने कहा – इसके परिवार को सुचना कर दी है सर | 

हवलदारों से रिपोर्ट ले कर इंस्पेक्टर ने भीड़ को तीतर बितर कर , लाश को पोस्टमार्टम के लिए. भेज दिया |  और खुद भी अपनी टीम के साथ थाने  लौट आया 

थाने हवलदारों के साथ बहुत से पहलुओं पर विचार कर, शाम को फिर इस्पेक्टर नीरज अपने दो हवलदारों के साथ गांव में पूछताछ कर रहा था | गांव के एक सज्जन ने उसे बताया – साब मैंने भीमा और उसके दोस्त को कल शाम रामु की दुकान पर देखा था | उसके बाद मै  तो अपने खेत पर चला गया था साब | 

 इस्पेक्टर फिर रामु नाइ की दुकान पर गए ,रामु से थोड़ी सख्ती से पूछताछ करने पर रामु नाइ बोला – अरे साब मै  बता रिया हु नी आपको , उसके साथ वो था पकज मालिवया , भीमा तो मेरे सेइज कटिंग बनवाता था साब , हमेशा , पर कल पंकज भी उसके साथ आया था साब , भीमा तो भोत अच्छा आदमी था साब , कहते कहते रामु थोड़ा भावुक हो गया था , उसकी हत्या करने वाले छोड़ना मत साब आप , 

इंस्पेक्टर बोला – देखो रामु , तुम जान ही चुके हो की भीमा की हत्या हुई है | और तुम इस बारे में जीतना भी जानते हो साफ़ साफ़ बता दो ,  मै तुम्हे पूछताछ के लिए थाने भी बुला सकता हु , और थाने पर हम कैसे पूछते है जानते हो न ? 

इंस्पेक्टर की बात से रामु डर  गया  – उरे साब , मझे मर्डर के बारे में कुछ नई मालूम साब , और भीमा तो मेरा दोस्त था साब  

इंपेक्टर कहता है – अच्छा तो भीमा के बारे के क्या क्या जानते हो ? सब बताओ 

रामु कहता है – साब भीमा बहुत अच्छा आदमी था | अभी २ साल पेले ही उसकी शादी हुई थी , ज़्यादा पैसे वाला तो नहीं था साब , पर फैशन में अपने बाल अलग अलग तरीके से कटवाता था , हिसाब किताब में दिमाग भी भोत तेज़ था साब उसका , शहर में बनियो की दुकानों पर काम करते करते एक एक पाई का हिसाब रखने लगा था साब , मुझसे भी हर बार पैसे कम कम करवाता था अब साब मुझेसे कितना बचा लेता वो | कल भी वो पंकज के साथ आया तो यही बोला था एक की कटिंग के पैसो में दोनों की बना दे | 

इंस्पेएक्टर ने रामु की बात को बीच में टोकते हुए कहा – कोई लड़की , पराई औरत का चक्कर तो नहीं था ? हम्म , कल को जीके साथ आया था क्या नाम बताया उसका 

नाइ – साब पंकज 

इंपेक्टर – हां पंकज भी कही पता नहीं चल रहा | कल से ही गायब है वो भी 

रामु नाइ ने कहा – साब वो पंकज के चाल चलन पर तो मुझे पहले से ही शक था , अभी नया नया ही गांव आया था , पहले वो शहर में रहकर काम करता था , पर उसके सेठ से कुछ पैसो के बारे झगड़ा कर के वापिस गांव आ गया था साब , पता नहीं कितना पैसा है उसके पास साब ,  रोज़ दारू पीटा था साब वो , दिखावे के लिए गांव के ही खेत पर काम  करने  जाता था | लगता है हत्या करके गांव छोड़ कर भाग गया साब , सुना है शहर में भोत जान पहचान है उसकी | 

कुछ और लोगो से इधर उधर के सवाल पूछ कर , इंपेक्टर वापिस आ गया | 

उस रात भीमा के परिवार और गांव के कुछ लोग भीमा का पोस्टमार्टम के दौरान शासकीय अस्पताल में ही रुके थे | अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद जब भीमा का शव उसके गांव लाया गया तो पुरे गांव में मातम छा गया, भीमा के माता पिता का रो रो कर बुरा हाल था | भीमा की अर्थी सज चुकी थी |  अंतिम दर्शन के लिए भीमा की पत्नी को  दो महिलाये सहारा दे कर अर्थी के पास ले कर आई थी  |

वो ये बात मैंने को तैयार ही नहीं थी की उसके साथ इतना बड़ा हादसा हो गया है , लड़खड़ाते हुए लगातार बड़बड़ा रही थी – नहीं भगवान्  मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता | जैसे ही वो भीमा की अर्थी के पास पहुंची – ज़ोर ज़ोर से चीख कर रोने लगी , और कहती रही – नहीं ये वो नहीं है , भगवान् मेरे साथ ऐसा नही कर सकता | भगवान् मेरे साथ ऐसा नही कर सकता |  बदहवास सी बोलते बोलते वो बेहोश हो गई थी, गांव की कुछ महिलाओं ने उसे पीछे से सहारा दे कर  गिरने से बचाया था | 

    एक तरफ भीमा की अर्थी निकल रही थी दूसरी तरफ पुलिस अपना काम कर रही थी |  पूरी पूछताछ और छान बीन के बाद पुलिस ने भीमा की हत्या का प्रकरण दर्ज कर कोर्ट के आदेश पर मुख्य आरोपी पंकज की तलाश शुरू कर दी | पंकज फरार था जिसके बारे में गाववालो को ज्यादा कुछ नहीं पता था | पुलिस पुरे जोश के साथ लगभग ६ महीनो तक पंकज की तलाश करती रही थी, शहर में पंकज के हर ठिकाने पर दबिश दी गई, पंकज को पकड़वाने वाले के लिए इनाम की घोषणा भी की गई | पर पंकज पुलिस के हाथ नहीं आया | लगभग २ साल बाद कोर्ट द्वारा पंकज के खिलाफ स्थाई वारंट जारी कर दिया गया और केस की फाइल कोर्ट की अलमारियो में बंद कर दी | पुलिस भी पंकज को खोज खोज कर थक चुकी थी. |  

    फिर एक रात गांव में रामु नाइ ने किसी साये को आते देखा, वो साया छुपता छुपता भीमा के घर की तरफ जा रहा था | रामु नाइ पहले तो थोड़ा ठिठक गया फिर उस साये का पीछा करने लगा , साये ने अपना शरीर पूरी तरह कंबल से ढक रखा था |  वो साया भीमा के घर के बहार गया और दरवाजा खटकाने लगा , भीमा की पत्नी ने दरवाज़ा खोला और साये को देख उसके चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई | भीमा की पत्नी ने उसे अपने घर के अंदर बुला कर दरवाजा बंद कर दिया था | ये सब देख कर रामु ने तत्काल पुलिस को फोन लगाया और कहा – साब मै  रामु बोरिया हु , और मैंने अभी किसी को भीमा के घर में घुसते देखा है साब ,  और हो सकता है वो पंकज है और भीमा की घरवाली का कोई चक्कर हो | 

फोन के दूसरी तरफ से इंपेक्टर नीरज ने कहा – तुम वही रह कर नज़र रखना , हम जल्द ही पहुंचते है | 

लगभग एक घंटे से रामु भीमा के घर पर नज़र रखे हुए था, पर कोई भी घर वे बहार नहीं आया , इतने में इंपेक्टर नीरज भी अपनी टीम के साथ भीमा के घर के बहार पहुंच गया था | इंपेक्टर को देखते ही रामु भी इंस्पेक्टर के पास आ गया और बात करते हुई  भीमा के घर के तरफ बढ़ने लगा | रामु – साब कोई भी बहार नहीं आया , वो आज अचानक मैंने।। इंपेक्टर रामु को  किया और भीमा के घर का दरवाज़ा बजने लगा |

इंस्पे – दरवाज़ा खोलो , पंकज हमें मालूम है तुमअंदर ही हो  , भागने की कोशिश बिलकुल  मत करना | अंदर से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई , इंपेक्टर ने अपनी रिवाल्वर हाथ में ले ली थी | दरवाज़ा खुला तो अंदर से जो निकला वो देख कर वहां खड़े सबके पैरो के नीचे. से ज़मीन खसकने लगी | रामु का मुँह खुला का खुला रह गया | दरअसल गयर के अंदर से भीमा ही निकला था और इंपेक्टर की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था | 

भीमा बोलै – अरे इंपेक्टर साब बन्दूक अंदर रख लो , मै  न तो भागूंगा और न ही किसी पर कोई हमला करूंगा | 

इंस्पेक्टर – तुम्हे हमारे साथ पोलिस स्टेशन चलना होगा | 

भीमा – किस जुर्म में , क्या पुलिस मुर्दो को भी गिरफ्तार  करती है , ये है मेरा डेड सर्टिफिकेट की कॉपी (बीमा ने इंपेक्टर की तरफ एक कागज़ बढ़ाते हुए कहा था ) पहले आप कोर्ट में ये तो साबित करो की मैं ज़िंदा हु | भीमा फिर मुस्कुरा रहा था 

इंपेक्टर बगले झांकता हुआ वहां से चला गया , रामु अभी भी अपने दोस्त को ज़िंदा देख कर आश्चर्य चकित था | 

भीमा रामु से बोला  – अबे देख का रहा यार मैं ही हु , और आज बीमे के १ करोड़ भी तेरी भाभी के खाते में आ गए | और और से हस्ते हुए भीमा ने कहा समझ आया मैंने उस दिन पंकज की कटिंग मेरे जैसी क्यों बनवाई थी | 

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