Sat. Aug 16th, 2025

परिवार विघटन के दौर में मध्यस्थता ही सर्वोत्तम उपाय – चन्द्रेश मण्डलोई

उज्जैन। माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष महोदय श्रीमान दीपेश तिवारी साहब एवं जिला न्यायाधीश एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, उज्जैन श्रीमान कपिल भारद्वाज के निर्देशन में सिंधी समाज के सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र का शुभारंभ हुआ। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार सामाजिक विवादों को अपने ही समाज में निपटारा करने हेतु सिंधी समाज का पारिवारिक मध्यस्थता विधिक समाधान केंद्र का उद्घाटन सिंधी समाज धर्मशाला, संतराम सिंधी कॉलोनी, उज्जैन में जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सामुदायिक मध्यस्थ श्री जेठानंद जयसिंघानी, श्री किशनचंद्र भाटिया, श्री नरेंद्र सबनानी, श्रीमती अंजु भाटिया, श्री गिरधारीलाल लालवानी, श्री राजकुमार परसवानी उपस्थित रहे तथा इस अवसर पर अन्य गणमान्य श्री तरुण रोचवानी मुस्कान ग्रुप, श्री विशाल चंदनानी मुस्कान ग्रुप, अमरलाल गुरनानी, श्री वासुदेव गोपलानी, श्रीमती पायल आहूजा, श्री ऋषिरंत तोमर, श्रीमती शालिनी तोमर एवं अंगदान करने वाले गणमान्य तथा दंपत्तीयो का सिन्धी समाज मे अपनी सेवाये देने के लिये सम्मान भी किया गया इस अवसर पर सिन्धी समाज के काफी संख्या में जनसामान्य उपस्थित रहे।

यह केंद्र प्रतिदिन समाज के पारिवारिक विवादों को समाप्त करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से प्रशिक्षण लिए हुए सदस्यों की उपस्थिति में विवादों का निपटारा करेगा। समाज के वरिष्ठो एवं मध्यस्थताकर्ता ने उपरोक्त केंद्र के उद्घाटन अवसर पर शामिल होकर आगंतुक अतिथियों का स्वागत अभिंदन किया।
जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री चन्द्रेश मण्डलोई ने इस अवसर पर कहा कि “परिवार विघटन के दौर में मध्यस्थता ही सर्वोत्तम उपाय है”। सामुदायिक स्तर पर मध्यस्थ वॉलंटियर तैयार करने का उद्देश्य यही है कि जिस समुदाय के व्यक्तियों के मध्य यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो प्राथमिक स्तर पर न्यायालय में मुकदमेबाजी होने से पूर्व ही उसको समाज के ही प्रशिक्षित मध्यस्थ वॉलंटियर के माध्यम से समाधान करने का सशक्त प्रयास हो सके। ताकि सामाजिक स‌द्भाव एवं भाईचारा बना रहे।

मध्यस्थता प्रक्रिया वर्तमान समय की एक आवश्यक प्रक्रिया है। न्यायालय में जो प्रकरण चल रहे हैं उनमें सभी न्यायाधीशगण मध्यस्थता या लोक अदालतों के माध्यम से निपटाने का प्रयास करते हैं और इन माध्यमों से प्रकरणों का निराकरण होने पर विवादों का स्थायी रूप से समाधान हो जाता है। इसी उद्देश्य को में रखते हुए वर्ष 2023 में भारत सरकार द्वारा मध्यस्थता अधिनियम 2023 अधिनियमित किया गया है।

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