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*B B C टाइम्स इन* रतलाम* 21 मई । शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेन्द्र कटारिया ने कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के लिए लागू की जा रही ई-पास सिस्टम को तुगलकी निर्णय बताते हुए इस काले कानून को वापस लेने की मांग की है।

श्री कटारिया ने इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर जिला प्रशासन के मनमाने निर्णय की शिकायत की है लॉकडाउन में गरीब,निर्धन और मध्यम श्रैणी के लोग पिछले एक माह से कितने परेशान है। छोटा से छोटा व्यवसाय कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले लोगों को भी प्र्रशासन ने बेरोजगार कर दिया है।

श्री कटारिया ने बताया कि ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहर में कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम आ रहे है। यह आंकड़े जादुई है या सही यह नहीं कहा जा सकता, क्योंकि जो रिपोर्ट आ रहे है और जो अकाल मौतें शहर में हो रही है उससे लगता है कि प्रशासन मौत का आंकड़ा भी छुपा रहा है और वह यह दर्शाना चाहता है कि शहर में संक्रमण नियंत्रण में है और लोग स्वस्थ हो रहे है। जब यह स्थिति तो क्या कारण है कि लॉकडाउन में चल रही सामान्य स्थिति में जिसका पालन हर व्यक्ति कर रहा है ऐसे में ई-पास सिस्टम लागू किया गया, आम गरीब जनता के पास ना तो एंड्रॉयड फोन है न इंटरनेट कनेक्शन है जिससे पास बनवा सके!इससे लोगों की परेशानियां बड़ेगी, हर व्यक्ति ई-पास केे लिए प्रयास नहीं कर सकता और ना ही उसे आसानी से उपलब्ध होगा। वर्तमान समय में कंट्रोल दुकान से 3 महीने का खाद्यान्न भी दिया जा रहा है योजना के अंतर्गत हितग्राही किस प्रकार से e pass बनवा कर लेने जाएगा इस पर कोई विचार नहीं किया

दवाईयों की दुकानों का समय भी जो निर्धारित किया गया है वह भी न्यायौचित नहीं है, सभी दवाई की दुकानें पूर्वानुसार खुली रहनी चाहिए। किराना दुकान के लिए जो समय निर्धारित किए गए थे वह पून: प्रारंभ किया जाना चाहिए। सब्जी बेचकर व्यापार करने वालों को रोजगार का अवसर उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि गरीब व कमजोर वर्ग के लोग जो भुखमरी का शिकार हो रहे है उन्हें थोड़ी सी राहत मिल सके।

वैक्सीन के लिए अधिक से अधिक केंद्र बनाए जाए,18+ के लोगों को पंजीयन में जो दिक्कत आ रही है उसे दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि वैक्सीन अनिवार्य है, केंद्र और राज्य सरकार भी वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित कर रही है, लेकिन पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध न होने से लोगों को वह नहीं लग पा रही है। लोग भटक रहे हैै। स्वास्थ्य सुविधाओं का भी विस्तार किया जाना चाहिए। कोई भी व्यक्ति कोरोना का हो या अन्य रोगों का बिना उपचार के शाासकीय और निजी अस्पताल सेे निराश होकर न लौट पाए।

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