रतलाम डीडी स्ट्रिंगर
राजेश मूणत
झाबुआ- रतलाम संसदीय क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति में परिसीमन में बदलाव किए बगैर वर्ष 2008 में इसका नाम रतलाम – झाबुआ किया गया था।
इस नाम बदलाव के पूर्व के वर्ष 1996 में इस लोकसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या के मामले में रिकार्ड बन गया था।
उस चुनाव में इस क्षेत्र से 43 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे।
रतलाम-झाबुआ क्षेत्र के इस संसदीय चुनाव में मतपत्र छपे हुए थे। उम्मीदवारों की इतनी संख्या के कारण मतपत्र को पुस्तिका के रूप में छापा गया था। उस चुनाव में 6 उम्मीदवार दलिय थे।बाकी 37 निर्दलीय मैदान में उतर गए थे।
रतलाम। लोकसभा चुनाव के इस दौर में जब विपक्ष में भगदड़ मची हुई है।
ऐसी स्थिति 1996 के चुनाव के दौरान भी आई थी।
तब कांग्रेस कई टुकड़ो में बंट गई थी। रतलाम- झाबुआ क्षेत्र में वर्ष 1996 का चुनाव ऐसे ही कई मानो में खास माना जाता है।
इस चुनाव में रतलाम जिले के कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता स्वर्गीय प्रभुदयाल गेहलोत ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था।
वर्ष 1996 में कांग्रेस की नरसिम्हाराव सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद यह चुनाव हुए थे।
तब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी थे।
उस समय कांग्रेस के कई बड़े नेताओ ने कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए अलग दल बना लिए थे। इनमें उत्तर प्रदेश से एनडी तिवारी एवं मध्यप्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह जैसे दिग्गज नेता भी शामिल थे।
लोकसभा के लिए कांग्रेस से टूटकर तिवारी कांग्रेस का गठन हो गया था।
कई बड़े कांग्रेसजन इस नए दल के टिकिट पर चुनाव लड़े थे। रतलाम -झाबुआ से अर्जुनसिंह की तिवारी कांग्रेस ने क्षेत्र के गांधी कहे जाने वाले प्रभुदयाल गेहलोत को मैदान में उतारा था।
मात्र पन्द्रह -बीस दिन की मेहनत में प्रभुदयाल गेहलोत ने रतलाम झाबुआ सीट से 58587 वोट प्राप्त करते हुए 12.33 प्रतिशत मत हासिल कर लिए थे।
हालांकि गेहलोत तीसरे नम्बर पर रहे थे।
जबकि कांग्रेस के टिकट पर दिलीपसिंह भूरिया 39 प्रतिशत मत प्राप्त कर जीत गए थे।
भाजपा के भागीरथ भंवर 33 प्रतिशत मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे।
उनको 160034 मत प्राप्त हुए थे।
1996 के चुनाव में
कांग्रेस पहले,भाजपा दूसरे और तिवारी कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।
जनतादल से सरदार पटेल चौथे नम्बर पर रहे थे।
निर्दलीय उम्मीदवारो में सबसे अधिक वोट बालाराम मुनिया को 3849 मिले थे। जबकि सबसे कम 100 मत गल्लू खेवला को प्राप्त हुए थे।