बीबीसी टाइम्स इन उज्जैन 27 जनवरी 2023
उज्जैन। उज्जैन भुमी देवभूमि है यह भूमि प्राचीन काल से ही अपने आप में इतिहास को संजोए हुए हैं प्राचीन काल से यहां पर अलग-अलग शासकों द्वारा मंदिरों का निर्माण एवं पुनरुद्धार किया गया है यहां पर कई प्रकार के ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के प्राचीन मंदिर है जिसकी महत्वता का वर्णन हमारे पुराणों में भी मिलता है उसी क्रम में हम आपको उज्जैन के ऐसे मंदिर के महत्व को बताने जा रहे हैं जोकि माता सरस्वती का एकमात्र प्राचीन मराठाकालीन मन्दिर है। पुराने शहर की तंग गलियो के बीच पान दरिबा क्षेत्र के चौरसिया समाज की धर्मशाला मे राम मंदिर के बाहर बिजासन माता मंदिर के सामने ओटले पर छोटी सी प्राचीन मां सरस्वती की प्रतिमा विराजित है। यहा के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सन 1700 से भी अधिक समय से पुरानी यह मराठा कालीन प्रतिमा है। और यह प्रतिमा धर्मशाला की दिवार मे संजोयित है। आसपास छोटे से ओटले को मन्दिर का स्वरुप दिया हुआ है। मान्यता है कि यहा पर विद्यार्थी माँ सरस्वती को स्याही एवं पीले पुष्प अर्पित करते है। बसंत पंचमी के दिन यहा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों एवं श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां पर स्याही से पूजन अभिषेक करने से मां सरस्वती भक्तों के ज्ञान भंडार में वृद्धि करती है एवं उनकी मनोकामना पूर्ण करती है।