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  • राजेश मूणत

बीबीसी टाइम्स इन रतलाम | 1 नवम्बर | बीती सोमवार की शाम रतलाम नगरीय क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं का एक दीप मिलन समारोह संपन्न हुआ। लेकिन अपने राजनैतिक मन्तव्यों के कारण यह आयोजन राजनैतिक हलको में चर्चा का विषय बन गया है। आयोजन ने स्थानीय स्तर पर पार्टी में व्याप्त खेमेबंदी और खींचतान को एक बार पुनः उजागर कर दिया है।
दीप मिलन के नाम पर आयोजित इस समारोह के सोश्यल मीडिया पर जारी आमंत्रण पत्र में वैसे तो यह प्रचारित था की यह आयोजन व्यक्तिगत नेतृत्व के बजाए पार्टी ध्वज के नेतृत्व में होगा। आयोजक या प्रायोजक के रूप में भी किसी का नाम प्रचारित नहीं किया गया था।
स्थापित किए गए इस सदाशय भरे मंतव्य के विपरीत यह आयोजन गुटीय द्वंद के कारण जबरदस्त चर्चाओं में आ गया है।
सूत्र बताते है की पार्टी का स्थानीय संगठन और नगर विधायक चेतन्य काश्यप से जुड़े लोग जहां इस आयोजन और जमावड़े से दूरी बनाकर इसे विफल बनाने में लगे थे।
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को नेपथ्य में रखकर उनके समर्थक इस आयोजन की सफलता के लिए जमकर पसीना बहाते नजर आए।
बताया जाता है की
श्री कोठारी और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने तो इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
लेकिन पार्टी संगठन और निकाय के पार्षदगणों के साथ विधायक काश्यप ने इस आयोजन से दूरी रखी।
वैसे तो इस आयोजन का घोषित उद्देश्य दीपमिलन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजजी का अभिनंदन करना बताया गया। यह अभिनंदन अयोध्या में राममंदिर के भव्य निर्माण और उज्जैन के महाकाल लोक की भव्यता के लिए किया गया।
इतने अच्छे उद्देश्य के बावजूद पार्टी संगठन की आयोजन से दूरी और आयोजन की सफलता और विफलता के लिए सप्ताह भर तक चले राजनैतिक दांव पेंच ने इस दीप मिलन समारोह को शहर भर में चर्चित कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार स्थानीय भाजपा स्पष्ट रूप से दो हिस्सो मे विभक्त हो गई है। विधानसभा चुनाव में अभी बहुत समय है। लेकिन उम्मीदवारी के लिए पार्टी में भीतरी रण तेज हो गया है। पार्टी के लिए घातक इस स्थिति पर चिंता जताते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि यह स्थिति आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। नाम नही छापने की शर्त पर जवाब देते हुए उन्होंने संपन्न निकाय निर्वाचन में पार्टी की पतली हुई स्थिति का भी जिक्र किया। और घटते जनसमर्थन को लेकर चिंता जताई।
राजनैतिक विश्लेषक बताते है की रतलाम भाजपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता है। और इसका असर आसपास की कई विधानसभा सीटों तक रहता है। लेकिन भाजपा का यह दुर्ग अगर सुरक्षित नहीं रहेगा तो पार्टी का प्रदेश में सरकार की वापसी का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकेगा।

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