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श्री राजपूत धर्मशाला में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा

*B B C टाइम्स इन* रतलाम 28 दिसंबर मनुष्य को चाहिए कि सद पुरूष या सत्संग से अपने आप को जोड ले फिर देखे कि जीवन में कैसा निखार आता है । हमारा जीवन पारदर्शी कांच की तरह हो जाता है भले ही लोग हमें पढ़ा लिखा समझदार माने,तब भी हम गलतियां कर ही जाते है मुर्खता व पागलपन यह दोनों चरित्र हमारे भीतर किसी ना किसी कोने में बसे हुए है ।

यह विचार भागवताचार्य हेमंत कश्यप ने श्री राजपूत धर्मशाला में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन धर्मालुजनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए ।

उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य स्वंय को नहीं पहचानता वह मनुष्य संसार का सबसे बड़ा मुर्ख है । वेद पुराण, शास्त्र, उपनिषद, ग्रंथ, हमें अपने आप को पहचानने की शक्ति को प्राप्त करवाते है । अखण्ड ज्ञान आश्रम के महंत देवस्वरूपानंदजी महाराज ने भी सम्बोधित किया तथा महंत सुजान जी महाराज भी उपस्थित थे।

मुख्य यजमान परिवार उषा पंवार सुपुत्र ठा. मनोज सिंह पंवार ने बताया कि मंगलवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा आयोजन में अधिक से अधिक धर्मालुजन पधारकर धर्मलाभ ले

इस अवसर पर राजपूत नवयुवक मंडल न्यास, महिला मण्डल के पदाधिकारीगण राजेन्द्र सिंह गोयल, शैलेन्द्र सिंह देवड़ा, महिला मण्डल की राजेश्वरी राठौर, चरण सिंह जाधव, मनोहरसिंह चौहान,राजेन्द्रसिंह पंवार, रघुवीरसिंह सांकला, देवीसिंह राठौर, महेन्द्र सिंह चौहान, राजेन्द्र सिंह चौहान, जोगेन्द्रसिंह सिसौदिया, सीमा देवड़ा, कविता देवड़ा, गीता देवी राठौर, सुमती सिंह, गायत्री चौहान, पुष्पा चौहान आदि समाज के पदाधिकारीगण आदि उपस्थित थे।

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