BBC टाइम्स इन उज्जैन 03 जुलाई 2021
उज्जैनः सोचिए अगर आप सरकार नौकरी में कार्यरत हैं और आपको 8 साल पहले ही रिटायरमेंट का लेटर आ जाए, तो आप इस सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. कुछ ऐसा ही हुआ है उज्जैन में रहने वाले एक पुलिस कांस्टेबल के साथ जिन्हें नौकरी खत्म होने से 8 साल पहले ही रिटायरमेंट का लेटर आ गया.
इस तरह हुई मिस्टेक
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रहने वाले दयाराम गोंदिया 30 सालों से ट्रैफिक पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात है. अभी उनकी रिटारमेंट में आठ साल का समय बाकि है. लेकिन दयाराम तब हैरान हो गए जब 30 जून 2021 को उनके घर रिटायरमेंट का लेटर आ गया.
जिसके बाद दयाराम सोच में पड़ गए कि भला ऐसा कैसे हो सकता है. ऐसे में उन्होंने तुरंत इस मामले में अपने सीनियर अधिकारियों से शिकायत की. जिसके बाद पूरा मामला सामने आया, जिसमें पुलिस विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है.
चार साल में भी नहीं सुधरी गलती
दरअसल, 2018 में प्रधान आरक्षक दयाराम गोंदिया को पता चला कि पुलिस विभाग के कागजों में उनकी जन्म दिनांक 15 जून 1959 लिखी हुई है, जिसके कारण उनकी रिटायरमेंट 30 जून 2021 हो रही है. इसी बात की शिकायत दयाराम ने आज से 4 साल पहले 2018 में पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से की थी. जिसके बाद अधिकारियों ने उनकी जन्मदिनांक ठीक करने की बात कही थी. दयाराम निश्वित होकर अपने घर गए. लेकिन 30 जून 2021 को जब उनका रिटायरमेंट का लेटर आया तो वह फिर से भोपाल पहुंचे. जहां उन्होंन पता चला कि चार साल से दयाराम की फाइल इधर से उधर होती रही लेकिन उनकी जन्मदिनांक नहीं सुधारी गई. जिससे उनके पास रिटायरमेंट का लेटर पहुंच गया.
24 घंटे में सुधारी गई गलती
हालांकि जब दयाराम ने भोपाल पहुंचकर पूरे मामले की शिकायत ग्रह विभाग से की तो तत्काल ग्रह मंत्रालय ने मामले को संज्ञान में लेकर दयाराम की जन्मतिथि में 24 घंटे के अंदर सुधार किया. अब दयाराम और उनका परिवार काफी खुश है. उनका कहना है कि महाकाल की नगरी में 8 साल और सेवा देना का मौका मिलेगा.
दयाराम ने बताया कि वह 1989 में पुलिस विभाग में भर्ती हुए थे. पिछले 30 सालों से वह अलग-अलग जिलों में पदस्थ रहे. 2019 में उन्हें ट्रैफिक पुलिस में हेड कांस्टेबल चुना गया था. उन्होंने बताया कि जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली की उनकी जन्मदिनांक विभाग के कागजों में गलत है तो उन्होंने इस मामले की शिकायत एसपी से की थी. एसपी साहब के बाद फाइल भोपाल गई, लेकिन कागजों में कुछ कमी होने के चलते फाइल दौबारा से वापस उज्जैन आ गई. जिसके बाद उन्होंने सारे कागज अच्छी तरह से फिल करके भोपाल में पुलिस हेडक्वार्टर में भिजवाई. वहां से फाइल मंत्रालय गई लेकिन पिछले चार सालों में उनकी जन्म दिनांक नहीं सुधारी गई. इस बीच उन्होंने कई आवेदन भी दिए लेकिन सुधार नहीं हुआ. आखिरकार जब 30 जून को रिटायरमेंट का लेटर आ गया और उन्होंने फिर से इस मामले में शिकायत की तब कही जाकर उनका काम पूरा हुआ.
वहीं जब इस मामले में उज्जैन एएसपी अमरेंद्र सिंह से बात कि उन्होने इसे मामूली बात बताया और कहा कई बार ऐसा हो जाता है. लेकिन वह कुछ भी कहे दयाराम के इस मामले से एक बार फिर सरकारी सिस्टम में लापरवाही का मामला उजागर हुआ है.