राजगढ़ जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित ग्राम चौपाल प्रबंधन की बैठक में आयुक्त भोपाल संभाग भोपाल श्री कियावत ने मोबाईल वीडियो कॉल के माध्यम से उपयंत्रियों, सचिवों, ग्राम रोजगार सहायक को संबोधित किया। उन्होने पंचतंत्र की कहानियां एवं मुंशी प्रेमचंद्र की पंचपरमेष्वर की कहानी और कहानी के पात्र अलगु चौधरी तथा जुम्मन शेख के बारे में बताते हुए ग्रामीण प्राचीन संस्कृति एवं न्यायिक व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होने कहा कि वृक्ष आच्छादित चौपाल निर्माण से जहाँ एक ओर ग्राम की सामाजिक समरसता, सामुहिक निर्णय लेने की प्रथा, आपसी सद्भाव और सामंजस्य तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि की पुरातन व्यवस्था को सहजने का कार्य होगा। वही दूसरी ओर ग्राम में स्वस्थ्य प्राणवायु का एक स्थाई क्षेत्र भी विकसित होगा।
उन्होने कहा कि जिले में एक मौसम में इस बार एक लाख वृक्षारोपण कर राजगढ़ जिला प्रदेष में मॉडल के रूप में सामने आएगा। उन्होने वृक्ष आच्छादित चौपाल स्थल पर पौधारोपण कर हरियाली महोत्सव का 20 जून, 2021 को शुभारंभ होगा, के लिए स्थल चयन, ले आउट और पौधारोपण के लिए आवष्यक गढ्ढ़ों की खुदाई तथा पौधारोपण के पूर्व खाद सिंचाई और पौधों की सुरक्षा के लिए आवष्यक व्यव्स्थाएं करने के निर्देश भी वीडियो कॉल के द्वारा दिए।
कि प्रत्येक पंचायत में वृक्ष आच्छादित चौपाल स्थल विकसित किए जाने दो दिवस में स्थल चिन्हाकंन हो, 5 जून, 2021 तक ले आउट डले और पौधारोपण के लिए निर्देशानुसार गढ्ढ़े खोदे जाएं तथा 20 जून, 2021 तक पौधारोपण सहित चौपाल स्थल विकसित किए जाने का कार्य पूर्ण करना संबंधित सुनिष्चित करें। उन्होने समय सीमा का विशेष ध्यान रखने के निर्देष भी सभी को दिए।
इस अवसर पर उन्होने जनपदवार निर्मित एवं प्रगतिरत गौषाला निर्माण कार्यो की जानकारी भी ली। उन्होने कहा कि पूर्ण हो चुकी गौशालाओं का संचालक तत्काल प्रारंभ किया जाए तथा अपूर्ण गौषालाएं अगले 10 दिवस में पूर्ण की जाएं। उन्होने कहा कि गौवंषीय पषुओं के वर्षाकाल में सड़कों पर बैठने से दुर्घटनाएं होती है तथा कई बार पषुओ की मृत्यु के साथ-साथ जनहानि भी होती है। उन्होने कड़े शब्दों में हिदायत दी कि जिले में ऐसी स्थितियां निर्मित नही हो तथा आवारा घूम रहे गौवंशीय पशुओं को गौशालाओं में रखने की व्यवस्थाएं सुनिष्चित रहें।
इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री केदार सिंह द्वारा वृक्ष आच्छादित चौपाल स्थल विकसित किए जाने का उद्देष्य बताया तथा कहा कि उक्त चौपाल स्थल शासकीय स्कूल, आंगनवाड़ी, आश्रय, मंदिर परिसर अथवा सोसायटी परिसरों आदि में चिन्हित किए जाएं। यह एक ऐसा स्थल के रूप में विकसित हो जिसका उपयोग ग्रामीणजन एक साथ बैठकर अपने हित के निर्णय लें, समस्याओं का सामुहिक रूप से निराकरण करें तथा सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियां भी सम्पन्न कर सके। इस अवसर पर उन्होने समस्त उपस्थितजनों को ग्राम की साफ-सफाई और पेयजल व्यवस्था करने विशेष ध्यान देने के निर्देष भी दिए।
आयोजित चौपाल प्रबंधन की बैठक में संबंधित क्षेत्रों के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसीलदार, जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सहायक यंत्री, उपयंत्री, ए.डी.ई.ओ., पी.सी.ई.ओ. एवं ए.पी.ओ. मनरेगा सहित चिन्हित पंचायतों के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक मौजूद रहे।

