*B B C टाइम्स इन* रतलाम/ भोपाल 02 जून ।शिवराज सरकार को लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों पर ध्यान देना होगा
अपने वक्तव्य में श्रमजीवी पत्रकार संघ मुख्य कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा कि संपादकों और पत्रकारों की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है क्योंकि वर्ष 2019 से ही छोटे समाचार पत्रों को जिलों के तहसील के दुकानदारों ने अथवा उद्योग संचालकों ने आर्थिक तंगी के परिणाम स्वरुप छोटे विज्ञापन देना लगभग बंद कर दिया है केंद्र सरकार हस्तक्षेप करें और राज्यों को छोटे समाचार पत्रों के लिए एक नीति निर्धारित नहीं है
प्रदेश की शिवराज सरकार ने तो पूर्व कार्यकाल में लघु व मध्यम समाचार पत्र को प्रोत्साहित किया किंतु इस कार्यकाल में कुछ भी स्पष्ट नीति नहीं है वर्ष में कम से कम हर माह लघु मध्यम समाचार पत्रों को एक विज्ञापन देना चाहिए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को छोड़कर कई ऐसे राज्य जो अपने छोटे समाचार पत्रों को विज्ञापन दिवस पर दो तीन बार राष्ट्रीय पर्व पर ही जारी करते हैं ऐसे में समाचार पत्र छापना और पत्रकारिता करना यह बड़ा मुश्किल हो जाता है छोटे समाचार पत्रों के विषय में सभी राज्यों को अपनी धारणा बदलनी पड़ेगी
इस भयानक जानलेवा कोरोना का काल में भी भारत के सभी राज्यों की सरकारें छोटे समाचार पत्रों के विषय में अपनी सकारात्मक धारणा नहीं बना पाई और उन्हें उद्योगपति और सिंडिकेट घराना ही समझती रही ऐसी परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप किसी भी राज्य ने अपन राज्य से प्रकाशित होने वाले छोटे समाचार पत्रों को विज्ञापन पर के तौर पर दी जाने वाली आर्थिक मदद पर लगभग प्रतिबंध लगा दिया है जहां एक और बड़े-बड़े समाचार पत्र छपते रहे क्योंकि उनके पास संसाधनों का अभाव नहीं था वहीं दूसरी और छोटे समाचार पत्र संसाधनों के अभाव में अथवा आर्थिक तंगी के परिणाम स्वरुप बंद होने की कगार पर आ गए हैं और प्रिंट मीडिया के प्रति भारत के सभी राज्यों का सौतेला पन दूर व्यवहार के परिणाम स्वरुप अधिकांश छोटे-बड़े पत्र-पत्रिका को अपनी लेखनी को विराम देना पड़ा है स कोरोनावायरस कॉल मे मध्य प्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी तुरंत आनन-फानन में कोरोनाकॉल में मरने वाले पत्रकारों के परिवारों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी लगभग सभी सरकारें करो ना कॉल में मृत होने वाले पत्रकारों के परिवारों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा कर चुकी है अथवा नीति निर्धारण कर रही हैं ऐसा सुनने में आया है यह भी बात सोचना चाहिए कि वर्तमान परिस्थिति में छोटे मझोले समाचार पत्र पत्रिका छापने वाले संपादकों और पत्रकारों की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है क्योंकि वर्ष 2019 से ही छोटे समाचार पत्रों को जिलों के तहसील के दुकानदारों ने अथवा उद्योग संचालकों ने आर्थिक तंगी के परिणाम स्वरुप छोटे विज्ञापन देना लगभग बंद कर दिया है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है कर दिए है इसमें केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करके छोटे मझोले समाचार पत्रों के लिए राज्यों को कोई गाइडलाइन जारी करना चाहिए जिससे कि राज्य छोटे मझले समाचार पत्रों के लिए कोई नीति निर्धारित करें जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो क्योंकि वर्ष 2019 के कोरोनावायरस ने लगभग सभी राज्यों के छोटे समाचार पत्र पत्रिकाओं को धरा पर ला दिया था इस कोरोनावायरस की लहर में वह लगभग विराम की ओर अग्रसर है ऐसी परिस्थितियों में उनके परिवारों का क्या होगा चिंता करे राज्य सरकार केंद्र सरकार के छोटे मझोले समाचार पत्रों का भी परिवार है उनका भी जीवन है
उक्त जानकारी प्रदेश मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सिंह राठौड़ व उज्जैन संभाग मीडिया प्रभारी भरत शर्मा द्वारा दी गई