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*B B C टाइम्स इन* रतलाम 15 मार्च 2021। आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तक श्री जिनेन्द्र मुनिजी के मुखारविंद से 25 अप्रैल श्रमण भगवान महावीर स्वामी के जन्मकल्याणक के दिन जैन भगवती दीक्षा ग्रहण करने जा रहे रतलाम के युवा मुमुक्ष सुहास गांधी का बहुमान एवं श्री धर्मदासगण परिषद् का मिलन समारोह मोहनबाग में आयोजित हुआ।

धर्मदासगण परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल भण्डारी परिवार द्वारा आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि शहर विधायक चेतन्य काश्यप थे।
धर्मदासगण परिषद् के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चन्द्रप्रकाश बोकडि़या, राष्ट्रीय महामंत्री राजकुमार पारख, अ.भा. श्री धर्मदास स्थानकवासी जैन युवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण विनायक्या, अ.भा. श्री चन्दना श्राविका संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष देवा कर्णावट, पूज्य श्री नन्दाचार्य साहित्य समिति के अध्यक्ष प्रवीण रूनवाल व श्री धर्मदास जैन श्रीसंघ के अध्यक्ष अरविन्द मेहता एवं उर्मिला शांतिलाल भण्डारी भी मंचासीन थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में भण्डारी परिवार की बहन-बेटियों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। विधायक चेतन्य काश्यप का धर्मदासगण परिषद् की ओर से शांतिलाल भण्डारी, चन्द्रप्रकाश बोकडि़या, प्रवीण विनायक्या, पंकज वागरेचा, अरविंद मेहता, प्रवीण रूनवाल, रजनीकांत झामर, विनीत वागरेचा, मनीष कांठेड़ आदि ने शॉल ओढाकर माला पहनाकर अभिनन्दन किया।

विधायक चेतन्य काश्यप ने मुमुक्ष सुहास गांधी का शॉल ओढाकर माला पहनाकर भेंट देकर बहुमान किया।

भण्डारी परिवार की ओर से केसरबाई भण्डारी, शांतिलाल भण्डारी, उर्मिला भण्डारी, अशोक भण्डारी, पारस भण्डारी आदि ने शॉल ओढाकर माला पहनाकर व भेंट देकर बहुमान किया।

मुमुक्षु के पिता नरेन्द्र गांधी व माता सपना गांधी का भी भण्डारी परिवार द्वारा बहुमान किया गया।

धर्मदासगण परिषद् के महत्वपवूर्ण प्रकल्प जनगणना कार्य में महत्वपूर्ण योगदान के लिए बदनावर के सर्वेश मण्डलेचा का धर्मदासगण परिषद् की ओर से अभिनन्दन किया गया।
स्वागत भाषण देते हुए धर्मदासगण परिषद् के अध्यक्ष शांतिलाल भण्डारी ने कहा कि यह जैन दर्शन में मान्य है कि जीवन अनादि से है। वह कभी मरता नहीं है, जिसे हम मृत्यु कहते है वह मात्र आत्मा का वस्त्र परिवर्तन है। जीव जो क्रिया करता है, वैसी क्रिया के रूप में उसके कर्म के बंधन होते है। उसी हिसाब से दुःख-सुख होते है। उसी हिसाब से जन्म-मरण होता है। दीक्षा लेना मतलब क्रोध, मान, माया, लोभ को समाप्त करना। संयम मार्ग पर विरली आत्मा ही कदम बढ़ाती है।
धर्मदासगण परिषद् के राष्ट्रीय प्रवक्ता देवेन्द्र गादिया ने कहा कि गण परिषद् की गतिविधियांे पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि इस रत्नपुरी से कई भव्य आत्माओं ने संयम मार्ग पर कदम बढ़ाया है और जिनशासन में महत्ती धर्मप्रभावना कर रहे है। सुहास भाई भी इस संयम मार्ग पर अपने कदम बढ़ा रहे है।

मुमुक्ष सुहास गांधी ने कहा कि संसार ऐसा पाप का स्थान है, जहां पर हर क्षण पाप का बंध होता रहता है। संयम में रहते हुए ही एकमात्र निष्पाप जीया जा सकता है। जहां किसी भी जीव की हिंसा हमारे द्वारा नहीं होती है। मुझे संयम मार्ग पर आगे बढ़ाने हेतु शांतिलाल भण्डारी का अमूल्य सहयोग वैराग्य काल में मिलता रहा। भण्डारी परिवार द्वारा मेरा बहुमान अभिनन्दन इस दीक्षा का है, जिनशासन का है।
अणु मित्र मण्डल, अणु बाल मण्डल ने दीक्षा के अनुमोदनार्थ सुंदर स्तवन की प्रस्तुति दी। अणु श्री श्राविका मण्डल की आशा मेहता व मुमुक्ष सुहास गांधी की बहनें ईशा कटारिया एवं भव्यता गांधी ने भावविभोर कर देने वाला स्तवन प्रस्तुत किया। शांतिलाल भण्डारी के पुत्र भविष्य भण्डारी, पुत्रवधु विभा भण्डारी व पौत्री मोक्षा भण्डारी ने अमेरिका से ऑडियो क्लीप के माध्यम से दीक्षार्थी की अनुमोदना की। समारोह में श्री धर्मदास जैन श्रीसंघ, अणु मित्र मण्डल, अणु श्री श्राविका मण्डल, अणु बालिका मण्डल, अणु बाल मण्डल के पदाधिकारी व सदस्य के अलावा विभिन्न श्रीसंघों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी तथा भण्डारी परिवार के स्वजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। संचालन अणु मित्र मण्डल के महामंत्री राजेश कोठारी व सचिव मिलिन गांधी ने किया। आभार विमल बुरड़ ने व्यक्त किया।

युवा पीढ़ी को धर्म और संतों के साथ जोड़ने के प्रयास हो – काश्यप

दीक्षार्थी अभिनंदन एवं मिलन समारोह के मुख्य अतिथि शहर विधायक एवं वर्ल्ड जैन कॉफेडरेशन के चेयरमेन चेतन्य काश्यप ने कहा कि मुमुक्षु सुहास के मन में दीक्षा का भाव आना रतलाम शहर के लिए गर्व का विषय है। यह उन्हें मिले संस्कारों का भी परिणाम है। परिवार में इनसे पूर्व दादी ने भी दीक्षा ली थी। भण्डारी परिवार भी सौभाग्यशाली है, जिसे संयम की अनुमोदना का यह शुभ अवसर प्राप्त हुआ है। श्री काश्यप ने कहा कि आज सबके सामने यह विचारणीय प्रश्न है कि युवा पीढ़ी को धर्म एवं संतों से जोड़ा जाए। दरअसल वर्तमान में युग परिवर्तन चल रहा है। पूर्व में हजारों साल एक सी व्यवस्था चली, लेकिन पिछले 200 सालों में बिजली, इंटरनेट आदि के कारण काफी परिवर्तन आए है। ऐसी स्थिति में किस प्रकार नई पीढ़ी को विचार और संस्कारवान बनाया जाए, यह सबको सोचना चाहिए। श्री काश्यप ने कहा कि जैन दर्शन ऐसा, दर्शन है जिसमें व्यक्ति जो कहता है, वह करता है। पद विहार करना, गोचरी द्वारा भोजन, समयबद्धता से रहना और ज्ञान दर्शन करना आदि क्रियाएं संयम पथ की विशेषता है। इन्हें आत्मसात करने के बाद ही व्यक्ति संयम पथ पर अग्रसर होता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुमुक्षु सुहास से प्रेेरणा लेकर युवा पीढ़ी के धर्म के पथ पर आगे बढ़ेगी।

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