बीबीसी टाइम्स इन उज्जैन 23 अप्रैल 2025
उज्जैन। उज्जैन तीर्थ नगरी की प्रमुख सबसे कठिन एवं दुर्लभ पंचकोशी यात्रा का आज बुधवार को शुभारंंभ हुआ। वैशाख माह की तेज 41 से 43 डिग्री तापमान की तेज एवं तपती गर्मी के बीच पंचकोशी यात्री प्रात: मोक्षदायनी मां शिप्रा में स्नान करने के बाद पटनी बाजार स्थित श्रीनाग चंद्रेश्वर महादेव के दर्शन कर प्रतीकात्मक स्वरुप बल(उर्जा) लेकर 118 किलो मीटर लम्बी यात्रा मार्ग पर निकले। हालाकी कई यात्रीयो ने हमेशा की तरह 2 दिन पहले ही यात्रा की शुरुआत कर दी जिससे कई यात्रियो को सुविधा के दृष्टीकौण से अव्यवस्थाओ का भी सामना करना पड़ा तो कही न कही यह विधि के अनुरुप भी नही है,पुराणो के अनुसार वैशाख कृष्ण की दशमी पर ही यात्रा आरम्भ का महत्व माना गया है जो की तिथी ही अनुसार अन्य पड़ावो स्थल पर भी पूजन होता है जो की शास्त्र संगत है।
यात्रा का महत्व
मान्यता है की वैशाख कृष्ण की दशमी पर यात्रा का आरम्भ होता है जो की वैशाख कृष्ण शुक्ल की अमावस्या तक 5 दिन तक की होती है जिसमे उज्जैन शहर की चारो दिशाओ मे स्थापित द्वारपालो की पूजा एवं परिक्रमा का महत्व है। स्कंध पुराण के अनुसार अनंत काल तक काशीवास की अपेक्षा वैशाख माह मे अवंतिका नगरी में मात्र पांच दिवसीय वास अधिक पुण्य एवं फ़लदायी माना गया है इस लिये भी यह यात्रा 5 दिवस की मान्यता को दर्शाती है। आदिकाल से ही इस यात्रा का पुराणो मे भी महत्व बताया गया है जिसे राजा विक्रमादित्य ने भी प्रोत्साहित किया था।
पंचक्रोशी यात्रा मार्ग और प्रमुख पड़ाव
118 किलो मीटर लम्बी यात्रा उज्जैन नगर के कई रहवासी एवं ग्रामिण क्षेत्रो से होते हुये गुजरती है जिसका वर्णन निचे उल्लेखित है।
1.नागचंद्रेश्वर मंदिर से पिंगलेश्वर – 12 किलोमीटर
2.पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर 23 किलोमीटर
3.कायावरोहणेश्वर से नलवा 21 किलोमीटर
4.नलवा से बिल्लकेश्वर (अंबोदिया) 6 किलोमीटर
5.बिल्लकेश्वर (अंबोदिया) से कालियादेह 21 किलोमीटर
6.कालियादेह से दूधरेश्वर (जेथल) 12 किलोमीटर
7.दूधरेश्वर से उंडासा 16 किलोमीटर
8.उंडासा से शिप्रा घाट (रेती मैदान) 12 किलोमीटर
अंत में श्रद्धालु पवित्र शिप्रा नदी में स्नान कर नागचंद्रेश्वर मंदिर लौटते हैं और बल समर्पण कर यात्रा का समापन करते हैं।*
प्रशासनिक व सामाजिक व्यवस्थाएँ
मध्य प्रदेश सरकार व उज्जैन जिला प्रशासन द्वारा यात्रा के सफल आयोजन हेतु विशेष प्रबंध किए जाते हैं। प्रत्येक मार्ग मे आने वाली ग्राम पंचायतो के द्वारा यात्रियो की सुविधा के लिये विशेष इन्तजाम किये जाते है जिसमे रात्री विश्राम,भजन भोजन से लेकर तो चिकित्सा एवं स्वल्पआहार की भी व्यवस्थाये की जाती है विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं भी श्रद्धालुओं के सेवार्थ शिविर व पंडाल लगाकर भोजन स्वल्पाहार चाय पानी शीतल पेय जल की व्यवस्था करते हैं।