BBCTimes.in Ratlam / 03 march 2023 / लोक संगीत जन साधारण का गीत है जो हमें प्रकृति के द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार है |जनसाधारण के जीवन से सहज ही अंगीकार कर लिए जाने के कारण यह जनलोक में लोकप्रिय है |संस्कृति की परंपरा की जड़ है लोक संगीत |इन्हीं गीतों के आधार पर आज हमारी संस्कृति पल्लवित पुष्पित हो रही है यह उद्गार व्यक्त किए श्री रामचंद्र गांगुलीया ने। आज शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संगीत विभाग द्वारा आयोजित “लोक संगीत के विभिन्न रंग” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। दिनांक 21/2/ 23 को संगीत स्नातकोत्तर परिषद द्वारा आयोजित कार्यशाला में उज्जैन के लोक गायक श्री रामचंद्र गांगोलिया प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे ।कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संरक्षक डॉ आर. के. कटारे के मार्ग दर्शन में किया गया ।विशिष्ट अतिथि समाजसेवी श्री गोविंद काकानी थे। अध्यक्षता वरिष्ठ प्राध्यापक एवं विश्व बैंक प्रभारी डॉ सुरेश कटारिया ने की। इस अवसर पर गुणवत्ता प्रभारी डॉ अनिल जैन विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रारंभ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया गया ।सरस्वती वंदना कुमारी वंशीता पंड्या ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत डॉक्टर स्नेहा पंडित, डॉक्टर रोहित चावरे ,डॉक्टर अनामिका सारस्वत, डॉक्टर माणिक डांगे ,श्री विवेकानंद उपाध्याय ,श्रीमती शांति बाई ने किया ।स्वागत भाषण देते हुए डॉ बी .वर्षा ने कहा कि लोक संगीत की अनूठी परंपरा हमारी संस्कृति की पहचान है ।यह सरल होते हुए भी अपना अलग अस्तित्व रखती है। अतिथि परिचय देते हुए डॉ चावरे ने बताया कि रामचंद्र जी विगत 25 वर्षों से लोक संगीत से जुड़े हैं। उनके साथ उनके दोनों पुत्र श्रीअजय गांगोलिया व श्री विजय गांगोलिया भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं। आप आकाशवाणी दूरदर्शन के नियमित कलाकार हैं ।आपको भारत सरकार ,मध्यप्रदेश सरकार, खेल मंत्रालय से कई पुरस्कार व फेलोशिप प्राप्त हुई है।। समाजसेवी श्री गोविंद काकानी जी ने कहा कि संगीत एवं जीवन का अनूठा संगम है ।जीवन का कोई भी क्षेत्र संगीत से अछूता नहीं है। संगीत की कोई सीमा नहीं है ।आपने कार्यशाला के आयोजन हेतु सभी को अपनी शुभकामनाएं दी। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉक्टर कटारिया ने कहा कि संगीत हमें सुख में आनंद देता है तो दुख से उबरने की शक्ति भी प्रदान करता है। संगीत के सहारे हमारे जीवन को आसानी से जिया जा सकता है ।आपने कहा कि संगीत हमारे यहां की प्रत्येक धार्मिक, सामाजिक, कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है। अपनी प्रस्तुति में श्री रामचंद्र जी ने सर्वप्रथम गणेश वंदना प्रस्तुत की तत्पश्चात आपने बधाई गीत, मामेरा गीत ,निर्गुणी भजन, झूला गीत ,मेहंदी गीत, विदाई गीत,संझा गीत का प्रस्तुतीकरण और उसके शास्त्र को रेखांकित करते हुए किया। आपने अपने वक्तव्य में छात्राओं से आह्वान किया कि विलुप्त होती भाषा एवं शब्दों को सहेजना हमारी जवाबदारी है। आपने मध्यप्रदेश की राजकीय नाट्य परंपरा, लोकनाट्य माच की परंपरा पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार की डॉक्टर मंगलेश्वरी जोशी, डॉक्टर माणिक डांगे ,डॉक्टर सुरेश चौहान, प्रोफ़ेसर नारायण विश्वकर्मा, प्रोफेसर वी.के. जैन, डॉ मीना सिसोदिया, डॉ मधु गुप्ता ,डॉक्टर अनामिका सारस्वत, प्रोफ़ेसर नीलोफर खामोशी , डॉक्टर संध्या सक्सेना, डॉ रोशनी रावत, डॉ आनंद सिंदल, प्रोफेसर रविराज विश्वकर्मा, श्री दिवाकर भाटेले ,श्री तल्लीन त्रिवेदी, अक्षद पंडित, श्रीमती संगीता लालवानी, श्रीमती लीना गोरे सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थी ।कार्यक्रम का संचालन एम.ए.चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा श्रीमती कविता व्यास ने किया। कार्यशाला का आभार प्रदर्शन संगीत विभाग की डॉ स्नेहा पंडित ने किया