Tue. May 21st, 2024

विश्व बैंक परियोजना के अंतर्गत अकादमिक उत्कृष्टता हेतु शासकीय कन्या महाविद्यालय रतलाम में विज्ञान विभाग द्वारा अध्यात्म और योग का विज्ञान विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया कार्यक्रम की मुख्य वक्ता मेनिट भोपाल की सह प्राध्यापक एवं नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित डॉ सविता दीक्षित थी।कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया डॉ सविता दीक्षित ने अपने वक्तव्य में कहा कि योग अर्थात समाज परिवार गुरु और हमारी आत्मा से जुड़ाव है जिस प्रकार बूंद बूंद से घड़ा भरता है उसी प्रकार धन , ज्ञान और चरित्र से मनुष्य का जीवन संपूर्ण बनता है योग और अध्यात्म को अपनाकर व्यवहारिक जीवन में उतारना चाहिएl सफल जीवन तभी तक होता है जब तक हमारा संतुलन बना रहता हैमनुष्य ईश्वर की अनुपम कृति है हमारे आसपास असीम संभावनाएं और असीम ऊर्जा है इस आध्यात्मिक ऊर्जा के द्वारा बिना थके बिना रुके ईश्वर तक पहुंच सकते हैं एक साधारण व्यक्ति के मन में 70,000 विचार उत्पन्न होते हैं व्यक्ति के पास दो मन होते हैं चेतन और अवचेतन मन चेतन मन सिर्फ 15% होता है अवचेतन मन 85% होता है ब्रह्मांड को यदि सकारात्मक ऊर्जा हम देंगे तो सकारात्मक ऊर्जा हमें प्राप्त होगीl अध्यात्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं यदि दोनों को जोड़ दें तो हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं हमें दृढ़ संकल्प करना होगा कि सूर्य, पृथ्वी, जल, वायु एवं अग्नि तत्वों को धन्यवाद देते रहें जो हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं संकल्प से शक्ति मिलतीहै ।सृष्टि बनती है आत्म निष्ठा आत्मदृढ़ता सच्ची श्रद्धा और लगन हो तो कोई भी शक्ति हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। जो हम सोचते हैं वह होने लगता है यही विज्ञान और अध्यात्म की महिमा है सकारात्मक सोच को आत्मसात करके हमें जीवन में आगे बढ़ना है एवं विज्ञान को हम सुबह से शाम तक अपने से अलग नहीं कर सकते ।कपूर इलायची लौंग तुलसी गिलोय से शरीर की नकारात्मकता दूर हो जाती है और सकारात्मकता प्रवेश करती है विचार शून्य अवस्था में व्यक्ति उच्चतम अवस्था में पहुँच जाता है इसके माध्यम से हम अपने पथ पर बहुत अच्छे से अग्रसर होते हैं योग शरीर को स्वस्थ करता है और जब उसमें आध्यात्मिकता जोड़ लेते हैं तो सोने पर सुहागा हो जाता है पूरे समय चलते फिरते उठते बैठते सबसे कृतज्ञता व्यक्त करें मनुष्य में देवत्व पुरुषत्व राक्षसत्व सब है ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हमें इसे कैसे बैलेंस करना है हम सबके बारे में अच्छा सोचकर आगे बढ़ सकते हैं श्रीमद्भागवत में कहा गया है “आत्ननो गुरुरात्मैव पुरुषस्य विशेषतः” हम आत्मा को अपना गुरु बनायें ।हम अपने दिमाग़ में सकारात्मक सोच डालेंगे तो सब अच्छा होगा सबके लिए कृतज्ञता ज्ञापित करते रहे। यह कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.आर के कटारे ने कहा कि विद्यार्थी को जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना है तो एकाग्रता आवश्यक है ।ध्यान और एकाग्रता से सफलता के शिखर तक पहुँचा जा सकता है ।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुषमा कटारे , अतिथि परिचय डॉ. मधु गुप्ता एवं आभार डॉ. रोशनी रावत द्वारा किया गया l बड़ी संख्या में प्राध्यापक एवं छात्राएं उपस्थित रहे l

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