Thu. Jun 19th, 2025

BBCTimes इन रतलाम |25 नवम्बर 2022 | महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा माध्यम अधिकारों का उचित ज्ञान है इसके अभाव में महिलाएँ लैंगिक अपराध और घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं।सरकार की तरफ से महिलाओं के लिए कानूनों में पहले की अपेक्षा व्यापक बदलाव किए गए हैं ,उक्त कथन न्यायाधीश एवं जिला विधिक प्राधिकरण प्रमुख श्री अरुण श्रीवास्तव जी ने राष्ट्रीय सेवा योजना, एलुमनाई एसोसिएशन एवं लैंगिक उत्पीड़न समिति द्वारा शा. कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर कहा।
मुख्य वक्ता श्री अरुण श्रीवास्तव ने छात्राओं को महिला उत्पीड़न से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराते हुए कहा कि हाल ही में महिला उत्पीड़न निवारण एवं बालकों के संरक्षण हेतु नए कानूनों का गठन किया गया है, जिसमें दंड की मात्रा में इजाफा किया गया है 2013 एवं 18 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जिसमें महिलाओं को गलत नजर से देखना, गलत मनोभावों से छूना, सार्वजनिक स्थल पर संपर्क का प्रयास तथा जबरदस्ती बातचीत का प्रयास भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है। यदि कोई महिला इस संदर्भ में शिकायत करती है तो अपराधी को डेढ़ से दो महीने तक जेल में रहना पड़ता है और उसके लिए जमानत का भी कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही उन्होंने बताया कि शासन उत्पीड़ित महिला को विधिक सहायता कोर्ट में ही जिला विधिक प्राधिकरण के अंतर्गत निःशुल्क अधिवक्ता की सुविधा प्रदान करता है ।इसके अलावा उन्होंने पोक्सो एक्ट पर भी महत्वपूर्ण जानकारी छात्राओं से साझा की।
उक्त कार्यक्रम में वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक शकुंतला मिश्रा ने बताया कि महिला के साथ कोई उत्पीड़न ना हो इसलिए भारत शासन एवं निर्भया योजना के तहत सभी जिलों में वन स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं जहां महिलाएं 181 पर फोन करके अपनी सुरक्षा के लिए मदद ले सकती हैं। पीड़ित महिला को यहां 5 दिन का अस्थाई आश्रय एवं काउंसलिंग भी दी जाती है। इस अवसर पर वन स्टॉप सेंटर पर कार्यरत महाविद्यालय की भूतपूर्व छात्रा रुचि चोपड़ा ने वन स्टॉप सेंटर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी से छात्राओं को अवगत कराया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर के कटारे ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। समाचार पत्रों में रोज ही इस तरह की घटनाओं की जानकारी पढ़ने में आती है। आज दी गई जानकारी हमारी छात्राओं के लिए बहुत ही प्रेरक साबित होगी।
वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ सुरेश कटारिया ने कहा कि इस तरह के आयोजन महाविद्यालय में होते रहना चाहिए ताकि छात्राएं जागरूक और सजग रह सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं महाविद्यालय लैंगिक उत्पीड़न समिति की संयोजक प्रो सुषमा कटारे ने कहा की जानकारी के अभाव में महिलाएं उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं, इसलिए छात्राएं अधिकारों के प्रति जागरूक हो एवं अन्य छात्राओं तथा परिचितों को जानकारी पहुंचा कर उन्हें उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करें।
मंचासीन अतिथि में महिला एवं बाल विकास के सहायक संचालक श्री रवींद्र मिश्रा एवं एलुमनाई एसोसिएशन प्रभारी डॉ सुनीता श्रीमाल रहे।
इस अवसर पर डॉ अनिल जैन ,डॉ मधु गुप्ता,डॉ सुरेश चौहान, डॉ एम.गांगले, डॉ बी. वर्षा, डाॅ स्नेहा पंडित डाॅ रोशनी रावत, डॉ आनंद सिंदल, डॉ स्वर्णलता ठन्ना, डॉ रितिका श्रीवास्तव, प्रो.सौरभ गुर्जर, डॉ तबुस्सम पटेल, प्रो दिवाकर भटेले, डॉ निशा निमावत आदि प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय योजना प्रभारी डॉ अनामिका सारस्वत ने किया एवं आभार प्रो. नीलोफ़र खामोशी ने माना।

error: Content is protected !!