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बीबीसी टाइंस इन उज्जैन 11 जून 2022

क्या बाहरी प्रत्याक्षी का सिलसिला टुटेगा इस चुनाव मे

या निर्दलीय का दंश झेलेगी पार्टी
उज्जैन। नगर पालिक निगम उज्जैन के वार्ड क्रमांक 46 में वर्तमान नगरीय निकाय 2022 में क्या भाजपा इतिहास बदलेगी या फिर उसी इतिहास को दोबारा दोहराएगी। दरअसल हम बात कर रहे हैं भाजपा के वार्ड 46 से अभी तक के प्रत्याशी रहे भाजपा कार्यकर्ताओं की। अभी तक यहा जैसा कि सूत्रों ने बताया की वार्ड 46 में कोई भी स्थानीय प्रत्याक्षी को पिछले दो दशकों से दावेदारी करने का कोई मौका नहीं दिया गया है हमेशा से बाहरी प्रत्याशी द्वारा चुनाव दावेदारी पेश की जाती है और यह सब कुछ होता है भाजपा संगठन के इशारे पर। जिसको लेकर वार्ड के स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओ मे काफी रोष व्याप्त रहता है। प्रत्येक चुनावों में स्थानीय कार्यकर्ताओं को टिकट देने के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं और अंततः चुनाव के आखिरी दौर में वार्ड के बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी घोषित कर संगठन की दुहाई देते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओ से उसे जिताने की जिम्मेदारी सौप दी जाती है और वहा के स्थानीय कार्यकर्ता भी पार्टी को पहली प्राथमिकता देते हुए घोषित प्रत्याक्षी को जीताने के लिये जी जान से जुट जाते है और उसे विजय श्री दिलाने तक अन्त तक डटे रहते है।यह तो भाजपा के लिये उपयुक्त बात यह है की वार्ड 46 जो की भाजपा की विचारधारा से प्रेरित बाहुल्य वार्ड है जिसके कारण भाजपा को विजय का स्वाद हमेशा से मिलते आया है लेकिन कभी एसा न हो की स्थानीय कार्यकर्ताओ की नाराजगी एवं बाहरी प्रत्याक्षी की पुन:दावेदारी ओर जनता का परिवर्तन का मुंड भाजपा को अर्श से फर्श पर न ला दे।


अन्य पिछड़ा वर्ग का होगा दावेदार
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं ओबीसी आरक्षण के बाद नगर निगम का वार्ड क्रमांक 46 अन्य पिछड़ा वर्ग पुरुष के लिए आरक्षित किया गया है ऐसे में कई स्थानीय कार्यकर्ता उम्मीदवारी के लिए प्रयास कर रहे हैं इनमें प्रमुख रूप से स्थानीय कार्यकर्ताओ मे कैलाश प्रजापत, दुलीचंद प्रजापत, राखी श्रीवास, प्रशांत चंदेरी,धनराज गेहलोत और तीन बार से पार्षद एवं जॉन अध्यक्ष रह चुके हैं संतोष यादव फिर से इस वार्ड से दावेदारी कर रहे हैं किंतु भाजपा की गाइड लाइन के अनुसार 50 वर्ष से अधिक एवं दो या तीन बार पार्षद रह चुके प्रत्याशियों को टिकट ना देने के प्रमाण के कारण संतोष यादव का चुनाव लड़ना मुश्किल लग रहा है अब देखना है की भा ज पा अपने द्वारा निर्धारित की गई गाइड लाइन पर कितना कायम रह पाती है।
जमीनी कार्यकर्ताओं का हो रहा शोषण
कार्यकर्ता संगठन की रीढ़ की हड्डी होते हैं और उन्हें ही नजरअंदाज करना किसी भी संगठन को भारी पड़ सकता है यही वाक्या वार्ड 46 में स्थानीय कार्यकर्ताओ के ऊपर कारगर साबित हो रहा है क्योंकि पिछले डेढ़ से दो दशकों से भाजपा के लिए जी जान से जुटे स्थानीय कार्यकर्ताओ का दोहन ही हो रहा है उन्हें अपने ही वार्ड में बाहरी प्रत्याशियों से दो चार होना पड़ रहा है
अभी हाल ही की पिछ्ली पार्षद भाजपा प्रत्याशी रिंकू दीपक बेलानी का भी पिछले चुनाव के समय काफी विरोध हुआ था लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेताओं की समझाईश के बाद संगठन के दिशा निर्देशो का हवाला देते हुए कार्यकर्ताओं को एक नीति एक भाजपा पर कार्य करने के लिए प्रेरित कर आयातित भाजपा पार्षद प्रत्याशी को विजय श्री दिलाई गई थी।जब की वार्ड के ही महेश पन्जवानी,सुनिल नवलानी,अंकित चक्रवर्ति,लीना श्रीवास,धनराज गेहलोत,राजू तोमर,लक्ष्मीनारायण मौर्य,दुल्लीचंद प्रजापत ऐसे कई मुख्य रुप से जमीनी स्तर के कार्यकर्ता रहे है जिन्होंने संगठन को वार्ड 46 में मजबूत करने का ही कार्य किया है।
निर्दलीय का दंश न झेलना पड़े
अभी तक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले नगरीय निकायों में स्थानीय पूर्व पार्षद जय सिंह दरबार भी निर्दलीय चुनाव लड़कर इसी वार्ड 46 से नगर निगम पहुंचे थे और उन्होंने भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के प्रत्याक्षीयो को स्थानीय होने के कारण ही धूल चटाई थी अब कहीं ऐसा ना हो यह इतिहास भी फिर से दोहराया जाए और कोई स्थानीय प्रत्याशी चुनाव जीत कर पार्टी को ठेंगा न दिखा दे।

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