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BBC टाइम्स इन उज्जैन 16 जुलाई 2021


सेवरखेड़ी डेम पर भी करना होगा पुनर्विचार
उज्जैन। जुलाई माह का आधा पखवाड़ा गुजर चुका है किसानों की आंखें आसमान की ओर टकटकी लगाये देख रही हैं शहर 2 दिन छोड़कर पानी का दंश झेल रहा है,सुर्य का तीव्र प्रकाश अपनी तेज किरणो से ऊमस व गर्मी बढ़ा रहा है।ग्रामीण क्षेत्रो मे पानी के लिये अलग अलग प्रकार से टोटके किये जा रहे है की बस इन्द्र देव प्रसन्न हो और वो वर्षा करे ताकी लोगो के सुखे कण्ठ राहत पाए किसान अपनी फसल की बौवनी कर पाए धरा अपने अन्दर हरियाली की चादर औढ़ पाए व नदी नाले अपनी पूरी क्षमता के साथ बह निकले।


किन्तु पिशले कुश सालो से मानो उज्जैन को बारिश का ग्रहण ही लग गया है ।शहर के मान से औसत वर्षा कम ही हो रही है शहर की प्यास बुझाने के लिये एक मात्र विकल्प है गम्भीर डेम ।उसकी भी भरण क्षमता केवल 2250 एमसीएफटी ही है इससे अधिक जल का संग्रहण हो ही नही पाता अधिक वर्षा होने पर भी डेम की क्षमता बनाये रखने के लिये उसके गेट खोलना पडते है और अतिरिक्त पानी को आगे छोड़ दिया जाता है ।

समय बिता,आबादी बढी लेकिन आज भी डेम वही है इस लिये अब शहर को एक और डेम की आवश्यक्ता महसूस होती है।एसा नही है की सरकार ने इस विषय पर कुश नही किया सिंहस्थ 2016 मे इसके लिये प्रशासन द्वारा सेवरखेड़ी डेम बनाने की योजना भी तैयार की लेकिन उस समय भी कुश राजनेताओ के हित व किसान विरोधी निर्णय की बात,जिला प्रशासन की अधुरी तैयारियो को लेकर आज इतना बड़ा प्रोजेक्ट अधर मे ही लटक गया।मजबुरी वश शहर पानी की प्यास के लिये आज भी सिर्फ गम्भीर डेम पर ही आश्रित है हालाकि नर्मदा से क्षिप्रा मे पानी के द्वारा लोगो की प्यास बुझाने के लिये शिवराज सिंह ने भागीरथी प्रयास किया था

किन्तु यह भी काफी महंगी योजना साबित हुई परिणामवश आज भी पहली प्राथमिकता गम्भीर ही है इस लिये कम वर्षा या देर से आये मानसून के कारण प्रतिवर्ष इन्द्र देव से यही प्रार्थना करते है क्यू की अब तो लोग भी समझ गए है की यहा के राजनेता सिर्फ बड़ी बड़ी बाते करते है घोषणाए करते है,की स्मार्ट सिटी मे ऐसा होगा वैसा होगा लेकिन सच्चाई तो यही है की आज भी शहर बुन्द बुन्द पानी के लिये परेशान हो रहा है ओर यहा के राजनेता सिर्फ अपनी रोजी रोटी सेकने के अलावा कुश नही करते जनता की परेशानियो से इन्हे कोई मतलब नही ,वर्षा होगी तो साल निकल जायेगा नही हुई तो पैसा कमाने का खेल चालू।खैर यह बाबा महाकाल की नगरी है ओर प्रजा बाबा महाकाल को अपना राजा मानती है और राजा अपनी प्रजा को कभी परेशान नही देख सकता इस लिये अभी तक तो उन्होने ही सम्भाला है और आगे भी देखो वही संभालेंगे।
लेकिन शहर हित को ध्यान मे रखते हुए जिला प्रशासन को आगे आने वाले समय के लिये शहर हित मे एक अन्य डेम के विकल्प पर जाना ही होगा अन्यथा हर साल इसी तरह शहर पानी के लिये परेशान होता रहेगा और हमारा शहर उज्जैन और अधिक स्मार्ट कहलायेगा।

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