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*सैलाना से नितेश राठौड़*

*B B C टाइम्स इन* रतलाम/ सैलाना 25 मई सेवा भारती व प्रशासन के संयुक्त सौजन्य से सैलाना में संचालित माधव कोरोना देखभाल केंद्र के चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों व स्वयं सेवकों को मंगलवार से अब दो मासूम बच्चो की कमी खलने लगी है। मंगलवार से यहां किलकारियां गूंजना बंद जो हो गई है। दरअसल शिवगढ़ के 6 सदस्यीय परिवार को कोरोना संक्रमण होने के कारण यहां रखा गया था। उनमें से एक 18 माह का बेटा व 15 दिन की बेटी भी थी। बेटा अभिनंदन व बेटी श्रेयांशी जब चार पीढ़ी के साथ यहां से लौट रहे थे तो चिकित्सकों व नर्सो ने उन्हें परिजनों की तरह भावभीनी विदाई दी। तो मानो माहौल में ऐसी पारिवारिकता घुल गई कि मौजूद सभी की आंखें नम हो गई।

यूं आया पूरा परिवार-

शिवगढ़ निवासी 30 वर्षीय चंद्र प्रताप सिंह को 12 मई को कोरोना संक्रमित होने से केंद्र पर लाया गया था। परिवार के अन्य सदस्यों की जांच हुई तो वे भी संक्रमित निकले। अंततः 15 मई को चंद्र प्रताप सिंह की पत्नी सीमा कुंवार (28), माता सीता कुंवर (60), दादी लाल कुंवर (85) भी यहां लाए गए तो स्वाभाविक है कि 2 बच्चे अभिनंदन व श्रेयांशी को भी यही शिफ्ट किया गया। यानी चार पीढ़ी अब केंद्र पर थी।

परिवार की तरह ध्यान रखा

केंद्र पर सेवा दे रहे स्वयंसेवक नितेश सोनी और प्रियेश उपाध्याय कहते हैं कि सेंटर प्रभारी डॉ निधि मौर्य तो उन बच्चों पर मां की तरह प्यार लुटाती थी। स्टाफ नर्स सपना बौरासी, कामिनी म‌ईड़ा, रेखा कटारा, दिव्या प्रजापत व तारा शर्मा भी उन नन्हे मुन्नो को अपने परिवार के बच्चों की तरह स्नेह देती थी। स्वयंसेवक कुंदन कुमावत व प्रद्युमन बैरागी कहते हैं कि बिट्टू शर्मा दोनों बच्चों के लिए एक नियत स्थान से गाय का दूध नियमित रूप से लाया करते थे। उनके लिए खेल खिलौने की व्यवस्थाएं भी केंद्र पर की गई। यह सारी सेवाएं देखकर पूरा परिवार अभिभूत हो गया।

सभी स्वस्थ होकर नम आंखों से लौटे

सोमवार को जब सभी स्वस्थ हुए तो उन्हें भावभीनी विदाई दी गई। विदाई के साथ ही परिजनों को केंद्र से पक्षियों को पानी पिलाने के बर्तन दिए गए ताकि वे उन्हे अपने घर की छत पर रखकर पक्षियों के लिए पेयजल की व्यवस्था कर सके। बहरहाल सोमवार को जब दोनो बच्चो सहित सभी अपने घर लौट रहे थे तो हरेक की आंखें नम थी। डॉक्टर निधि मौर्य कहती है कि यहां सभी को बच्चो की किलकारीयों की आदत सी बन गई थी। परिवार प्रमुख दादी लाल कुंवर तो जाते-जाते सभी की सेवाओं से अभिभूत होकर इतने आशीर्वचन देकर गई कि वहां मौजूद हरेक शख्स खुशी से अभिभूत हो गया। चंद्र प्रताप सिंह ने भी यहां मिले पारिवारिक प्रेम को कभी ना भूलने की बात कही।

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