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राजेश मूणत (वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व अध्यक्ष रतलाम प्रेस क्लब)
 April 11, 2021 
कोरोना वायरस के दुसरे संक्रमण काल मे रतलाम में गम्भीर जरूरतमंद मरीजो को रेमडेसीवीर इंजेक्शन सरलता से उपलब्ध हो रहे है।  यह सब जिला प्रशासन और ओषधि प्रशासन के सजग रहने से सम्भव हो सका है। प्रशासन के निर्णय से उन कथित लोगो को भारी पीड़ा हो रही है जो इस इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करने के सपने जुटा रहे थे।
कोरोना से पीड़ित फेफड़ो के संक्रमण की चपेट में आ गए मरीजो के लिए रेमडेसीवीर इंजेक्शन का नाम एक कारगर दवाई के रूप में सामने आया है। कोरोना की दूसरी लहर के इस दौर में रतलाम सहित देश भर में इस इंजेक्शन की मांग यकायक बढ़ गई है। इस इंजेक्शन की मांग और आपूर्ति के मध्य थोड़ा सा समन्वय बिगड़ते ही चारो और हाहाकार गूंजने लगा।
इस स्थिति पर पैनी नजर रख रहे रतलाम कलेक्टर गोपालचंद्र डाड ने अपने अधीनस्थ अमले को तत्काल व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदारी सौंप दी। श्री डाड ने डिप्टी कलेक्टर शिराली जैन एवं ड्रग इंस्पेक्टर श्रीमती सारिका अग्रवाल के माध्यम से जरूरतमंद मरीजो को सूचीबद्ध कर उन्हें इंजेक्शन सहजता से उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी सम्हाल ली। बनाई गई व्यवस्था के अंतर्गत कम्पनी के स्टॉकिस्ट के पास इंजेक्शन आते ही प्रशासन ने उनको जरूरतमंद मरीज तक पहुँचाने के लिए नियमानुसार खैरची विक्रेताओं के माध्यम से व्यवस्था बना दी। खैरची विक्रेता के पास जरूरतमंद मरीज का नाम और उसका उपचार कर रहे हॉस्पिटल का नाम दोनों थे। मरीज के परिजनों को इस व्यवस्था से इंजेक्शन के लिए भटकना नही पड़ रहा है। खैरची विक्रेता उसे हॉस्पिटल जाकर इंजेक्शन दे रहा है।
प्रशासन के निर्णय से इंजेक्शन के लिए मच गई बेवजह की आपाधापी खत्म हो गई। इसके साथ ही उन लोगो के मंसूबो पर भी पानी फिर गया जो इस प्राणरक्षक बन गई दवा की ब्लेक मार्केटिंग करने के लिए लालायित थे।
प्रशासन का यह फैसला कुछ लोगो को समझ नही आ रहा है। वे लोग जिन्हें दवा व्यवसाय की बारहखड़ी नही आती वे इस फैसले की निंदा में तमाम मर्यादाएं भूलकर अनाप – शनाप खबरें प्रसारित कर रहे है। लेकिन इस निर्णय से आम मरीजो का भारी भला हो गया है।

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