*फोटो अनिल पांचाल*
*B B C टाइम्स इन* रतलाम 07 मार्च । नए रवि की नई रश्मियँ नई भोर के संग आई, उम्मीदों की सुखद लालिमा क्षितिज पास कैसी छाई। अंधकार के पर कतरे, मन पंछी बन उन्मुक्त हुई है। बुरे दौर के बुरे स्वपन से, सब प्राणी अब मुक्त हुए है। बीते कल की बीती बाते अपने मन से हम बिसरा दे, स्वच्छ रहे हम और रतलाम शहर को अपने पूरा स्वच्छ बना दे।
शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने का आव्हान करने वाली उक्त रचना वरिष्ठ साहित्यकार श्री आशीष दशोत्तर ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के तहत नगर पालिक निगम और अनुभूति संस्था के बैनर तले आयोजित काव्य गोष्ठी ने प्रस्तुत की।
श्री कालिका माता मंदिर परिसर स्थित नगर निगम के सांस्कृतिक मंच पर आयोजित काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरीशँकर भटनागर, डाँ.मोहन परमार, संजय सरल और श्री रामचन्द्र अम्बर आदि मौजूद रहे।
इस मौके पर कवि श्री कविता प्रस्तुत करते हुए पढ़ा कि रतलाम का फिर से इतिहास बनाना है। इस नगर को भारत में चमकाना है। ये नगर हमेशा से सुंदर कहलाता है। मालवा के हर मन को शुरु से बहलाता है। आओं मिलकर सब को अब स्वच्छ बनाना है। इस रतलाम नगर को भारत में हमको चमकाना है।
वरिष्ठ साहित्यकार डाँ.मोहन परमार ने रचना पाठ करते हुए पढ़ा कि मै अपना घर आँगन साफ रखू तो कोई बात बने। तुम अपना घर आँगन साफ रखो तो कोई बात बनी। फिर गली,मोहल्ले,नगर वाले प्रेरित होकर हम स्वच्छता को दोहरो तो बात बने। हम सबके प्रयास से स्वच्छता पर्यावरण शुद्धता का संदेश संसार में जाए तो कोई बात बने।
कवि रामचन्द्र अम्बर ने रचना पाठ करते हुए स्वच्छता का संदेश दिया कि जन जन का आव्हान यही है, स्वच्छ रहे-स्वस्थ्य रहे, जन जन का मान यही है। स्वच्छ रहे सुंदर रहे हमारा रतलाम। स्वच्छता से शहर का हर कोना चमकेगा, हर जन स्वच्छता का संकल्प लेगा, बीमारियों से मुक्त हर जन रहेगा।
कवि संजय सरल ने रचना पाठ किया कि क्या तुमने महसूस की अपनो की पीढ़ा ? तुम देख सकते हो अपनों की मौत? यदि नही तो क्यो करते हो वार अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी से । क्या तुमने सोचा है ? जब नही रहेगे पेड़ तो तुम भी बच नही पाओगे। सोचो खूब सोचो पेड़ों के बारे में न सही अपने बारे में।
नगरीयकरण से स्वच्छता बांधित हुई है
स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के तहत नगर निगम आयुक्त श्री सोमनाथ झारिया के निर्देश पर आयोजित काव्य गोष्ठी के साथ ही स्वच्छता विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन भी रखा गया। जिसमें साहित्यकारों ने हर तरह से स्वच्छता को जीवन की महती आवश्यकता बताया है।
डाँ.मोहन परमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रारंभ से ही स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। पूर्व में गाँव और कस्बे स्वच्छ और सुंदर हुआ करते थे। किन्तु बढ़ती आबादी और नगरीयकरण के कारण स्वच्छता तेजी से बांधित हुई है। महात्मा गांधीजी ने जोहान्सवर्ग दक्षिण अफ्रीका के आश्रम मेे नैतिक शिक्षा के साथ आत्म निर्भता और स्वच्छता पर विशेष ध्यान आकर्षित कराया था।
श्री हरिशंकर भटनागर ने कहां कि पूर्व में जब हमारे राजनेता विदेश प्रवास पर जाते थे तो वहां की स्वच्छता को देखकर भारत की स्वच्छता की तुलना करते तो उन्हे समय-समय पर चिंता होती थी। आज स्वच्छता हमारी जरुरत बन चुकी है। आज सभी को स्वच्छता अभियान में हिस्सेदारी निभाकर हमारे रतलाम शहर का मान देश में बढ़ाना चाहिए।
श्री आशीष दशोत्तर ने कहां कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के तहत शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी अमले की नही है बल्कि इस अभियान में जन-जन को सहयोग कर स्वच्छता अभियान से जुडऩा चाहिए। जब पूरा जन इस अभियान से जुडेगा तो इस शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने से कोई नही रोक सकता है।