पं रवि वोरा
प्रदेश उपाध्यक्ष
राष्ट्रीय परशुराम सेना मध्यप्रदेश
सामाजिक कार्यकर्ता
*B B C टाइम्स इन* रतलाम 27 जनवरी बुधवार आधुनिक युग के चलन में युवा पीढ़ी स्वयं के साथ ससक्त समाज के निर्माण में युवाओं को आना होगा हर हाल में देश की युवा शक्ति समाज को नई दिशा देने का सबसे बड़ा औजार है वह चाहे तो देश की समूची रूप रेखा को बदल सकता है किसी राष्ट्र को जानना हो तो सबसे पहले वहां के युवाओ को जानना चाहिए । पथ भृष्ट ओर विचलित युवाओ को समाज और सनातन धर्म के प्रति जागना होगा ताकि वह अपनी हौसले व जज्बे से समाज मे फैली विसंगति , असमानता , अशिक्षा , अपराध जैसे बुराइयोको जड़ से उखाड़ को फेकना होगा । लेकिन किसी भी राष्ट्र की युवा शक्ति समाज को तभी सही दिशा में ले जा सकती है जब वह स्वयं सही दिशा में हो । हमारा देश संस्कृति , सभ्यता और संस्कारों के लिए विश्वप्रसिद्ध है तभी तो ‘विश्वगुरु’ की संज्ञा दी गई है लेकिन आज की नई पीढ़ी आधुनकिता की दौड़ में अपने संस्कारो , अपनी संस्कृति ओर अपनी सभ्यता को तेजी से रौंदती जा रही है एक ओर विश्व के अन्य देश भारत की संस्कृति को अपना रहे है तो वही हम भारतवासी अपनी संस्कृति को भूल कर उन्ही देशो की संस्कति को तेजी से अपनाते जा रहे है आधुनिकता की ऐसी हवा चली है कि इस हवा में नई पीढ़ी के लिए सभ्यता और संस्कृति का बिल्कुल लॉप हो चुका है और उनके पास इस विषय मे बात करने के लिए भी समय नही है जो कि सुखद संकेत नही है दुर्भाग्य से आज भारत की युवा शक्ति कुछ उचित मार्गदर्शन ओर कुछ विकृत मूल्यो एवं संस्कृत से भटकी हुई प्रतीत होती है इसलिए उभरते भारत मे युवा शक्ति की आदर्श भूमिका क्या होना चाहिए ? यह सवाल काफी महत्व पूर्ण हो जाता है इस लिहाज से महत्वपूर्ण बात यह है कि भावी भारत के युवा को सही मायनो में सुसंस्कृत ओर सुशिक्षित होना चाहिए उसे अपने राष्ट्र और सभ्यता के विकास का वास्तविक अर्थ समझना चाहिए यदि राष्ट्र का वास्तविक विकास सिर्फ उसके द्वारा किया जाने वाला औद्योगिक उत्पादन और बड़े पैमाने पर किया गया पूंजी निवेश मात्र नही है । बल्कि किसी राष्ट्र का सम्पूर्ण ओर समग्र विकास तब तक नही होता जब तक उस राष्ट्र का युवा सुशिक्षित ओर सुसंस्कृत नही हो जाता । युवाओ के नाम पर राजनीति करने वाले राजनैतिक दलों के साथ युवा जनप्रतिनिधियों को भी समाज हित मे कुछ बड़े और प्रभावी फल करनी होगी