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21 भूदेवों के सानिध्य में मंत्रोचार किया गया
                       
*B B C टाइम्स इन* रतलाम 08 जनवरी सनातन धर्म में यज्ञ का बड़ा महत्व होता है। यज्ञ समस्त कामनाओं की पूर्ती के साथ सुख, समृद्घि और शांति प्रदान करता है। यज्ञों के कई रूप है इनमें महारूद्र यज्ञ, शतचण्डी यज्ञ, विष्णु यज्ञ, अश्वमेघ यज्ञ, राजसूय यज्ञ आदि अनेक यज्ञ है जो अलग-अलग कामनाओं को लेकर किए जाते है।
उक्त विचार श्री सनातन धर्मसभा एवं महारूद्र यज्ञ समिति के तत्वावधान में त्रिवेणी के पावनतट पर चल रहे 67 वें महारूद्र यज्ञ के अवसर पर समिति अध्यक्ष कन्हैयालाल मौर्य ने व्यक्त किए।
उन्होने कहा कि सुख, शांति, समृद्घि एवं भाईचारे की भावना से किए जाने वाले महारूद्र यज्ञ में जो आहुतियां दी जाती है उनसे वायु मण्डल शुद्घ होता है। यज्ञ में जो मंत्रों का उच्चारण होता है उनकी ध्वनी कानों द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करती है। इससे शरीर शुद्घ होता है और विचारों में शुद्घी आती है। यह महारूद्र यज्ञ इन्ही कामनाओं की पूर्ती को लेकर किया जा रहा है।
यज्ञार्चाय पं. दुर्गाशंकर औझा और 21 भूदेवों के सानिध्य में मंत्रोचार के बीच यजमान वीना कुन्दन सोनी द्वारा स्थापित देवताओं का पूजन एवं यज्ञ हवन कुण्ड में आहुतियां दी जा रही है।
शाम को यज्ञनारायण की महाआरती एवं यज्ञशाला की परिक्रमा में सोनी परिवार एवं उपाध्यक्ष रमेश व्यास, हरसहाय शर्मा, गोपाल घुघंरूवाल, नवनीत सोनी, पं. रामचन्द्र शर्मा सर्राफ, गोपाल जवेरी, गोविन्दलाल राठी, प्रेमजी उपाध्याय, सत्यनारायण पालीवाल, महेश बाहेती, बंशीलाल शर्मा, निलेश उपाध्याय, श्यामलाल कड़ेल, ताराबेन सोनी, राखी व्यास, रजनी व्यास, सावित्री सोनी, जया सोमानी सहित बड़ी संख्या में धर्मालुजन मौजुद थे।

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