श्रावण की छठी सवारी में शिवमय हुई अवंतिका नगरी
उज्जैन । श्रावण के षष्ठम सोमवार पर भगवान श्री महाकालेश्वर पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद,एवं नवीन रथ पर श्री घटाटोप स्वरुप में विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलें ।पालकी अपने निर्धारित समय पर मन्दिर प्रांगण से निकली जो अपने परम्परागत मार्गो से होते हुए पुन:मन्दिर पहुची। संवारी मार्ग मे स्वतंत्रता दिवस एवं देशभक्ति की झलक देखते ही बन रही थी विभिन्न भजन मंडली हाथों में तिरंगा ध्वज लिए हुए देशभक्ति के रंगों से सराबोर परिधान पहने बाबा महाकाल एवं भारत माता के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। भगवान श्री महाकालेश्वर के वैभव, एैश्वर्य व गरिमा की छटा चारों ओर देखतें ही बन रही थी ।
सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने पालकी का पूजन अर्चन किया। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य् द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी गई। सवारी मार्ग में स्थान-स्थान पर खडे श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल के घोष के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्पवर्षा की। इसके पहले पुर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार बनाने एवं जनकल्याण की भावना से बाबा महाकाल का पूजन किया। इस दौरान कई कांग्रेसी अपने नेता के सामने शक्ति प्रदर्शन करने मे लगे रहे। संवारी मे आस्था के साथ साथ देशभक्ति एवं राजनिती के रंग भी देखने को मिले जो की किसी भी बड़े नेता के आगमन पर अमूमन होते ही है। लेकीन इस बार विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण इसे टिकट वितरण को लेकर भी देखा जा रहा है अब देखना ये है बाबा महाकाल किस पर अपनी कृपा बरसाते है क्यू की पूरे ब्रह्मांड के राजा तो वही है।
हरि का हर से मिलन
श्री गोपाल मंदिर पर परंपरानुसार सिंधिया स्टेट की ओर से गोपाल मंदिर के पुजारी द्वारा पालकी में विराजित श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन किया गया। इस अवसर पर पुरे मार्ग को आकर्षक रंगोली एवं तिरंगे के रंगो से सजाया गया था और पालकी के आगमन पर आकर्षक पुष्प वर्षा कर बाबा की आरती उतारी गई । इसके पश्चात सवारी गोपाल मंदिर से पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में श्री जी के सभी विग्रहों के पूजन-आरती पश्चात सवारी का विश्राम हुवा।
शिवमय हुई उज्जयिनी
श्रावण के छठे सोमवार पर भगवान की सवारी के दौरान पूरी नगरी शिवमय हो गई। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, डमरू, ढोल आदि वाद्य बजाते हुए महाकाल की आराधना करते हुए पालकी के साथ चल रहे थे। सम्पूर्ण मार्ग में चोपदार व तोपची भगवान के आगमन की सूचना देते हुए आगे-आगे चल रहे थें। झाडूवाहक चॉदी की झाडू से मार्ग को स्वच्छ करतें हुए चल रहे थें। भगवान के नगर भ्रमण पर ढ़ोलवादक, झांझवादक आदि अपने वाद्यों को बजाते हुए हर्षोंउल्हास के साथ अवन्तिका नाथ की भक्ति में लींन दिखायी दे रहे थे। उज्जैन के ही कलाकार श्री के.बी.पंड्या अपनी टीम के साथ सम्पूर्ण सवारी मार्ग पर रंगोली बनाते हुए चल रहे थे। श्री पंड्या द्वारा विगत कई वर्षों से श्री महाकालेश्वर भगवान कि सवारी में सेवाए दे रहे है |
सातवी सवारी 21 अगस्त नागपंचमी पर
बाबा महाकाल की अगली एवं क्रम मे सातवी संवारी 21 अगस्त नागपंचमी को निकलेगी। एक साथ संवारी एवं नागपंचमी के अदभुत संयोग से अपार जनसमूह के आने की सम्भावना है। सातवी संवारी के दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा.महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद के साथ श्री घटाटोप मुखोटा के साथ श्री सप्तधान का स्वरुप सम्मिलित रहेगा। 21अगस्त को श्री महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी का पर्व भी मनाया जायेगा। आपको बता दे की नागपंचमी पर श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर भगवान के पट वर्ष में एक बार 24 घंटे के लिये ही खुलते है और पूजन पश्चात बंद कर दिए जाते हैं। जिसको लेकर भक्तो मे दर्शन को लेकर अपार उत्साह रहता है।