बीबीसी टाइम्स इन उज्जैन 25 फरवरी 2023
जबलपुर के हितकारिणी महाविद्यालय में प्लास्टिक उपयोग एवं दुरुपयोग विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पांडेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित
उज्जैन। जबलपुर के हितकारिणी महाविद्यालय में प्लास्टिक उपयोग एवं दुरुपयोग विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए। अपने वक्तव्य में कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि भारत से एक साल में लगभग 3.3 मैट्रिक मिलियन टन प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होता है, रोज लगभग 9,200 टन प्लास्टिक वेस्ट जनरेट होता है। अतः भारत में प्लास्टिक वेस्ट का प्रबंधन एक अत्यंत गंभीर और महत्वपूर्ण विषय है। अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि प्लास्टिक, उत्पादों को पानी और नमी से बचाता है, वह हल्का होता है, अधिक टिकाऊ और कई विकल्पों की तुलना में अधिक सस्ता होता है। इसीलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि प्लास्टिक स्वयं में एक समस्या नहीं है, बल्कि उसका दुरुपयोग और उसके यथोचित प्रबंधन का अभाव एक समस्या है। अगर आबादी द्वारा फेंके जाने वाले कचरे का निस्तारण सही तरीके से हो और पुनर्चक्रण के लिए उपयोगी प्लास्टिक को छांट कर उसे उचित क्षेत्र तक पहुंचा दिया जाए तो प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की चिंता से कुछ हद तक पार पाया जा सकता है।
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में समझाते हुए कुलपति प्रो पांडेय ने कहा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं। ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है। उन्होंने यह भी बताया कि प्लास्टिक से होने वाले रोगों में मुख्यतः दमा, पलमोनेरी कैंसर, तंत्रिका और मस्तिष्क को नुकसान, गुर्दे की तकलीफ और दमा जैसी जान लेवा बीमारियाँ हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित हो सकती है। कुलपति प्रो पांडेय के इस वक्तव्य पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो प्रशांत पुराणिक ने बताया कि प्लास्टिक का दुरुपयोग जीव-जन्तुओं के लिए अत्यंत हानिकारक है और विक्रम विश्वविद्यालय भी अपने परिसर को प्लास्टिक रहित करने की राह पर अग्रसर है। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कुलपति जी को बधाई देते हुए बताया कि प्लास्टिक का उपयोग एवं उसका उपयुक्त प्रबंधन पर्यावरण के संतुलन के लिए आवश्यक है और विक्रम विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं शिक्षक सदैव पर्यावरण संरक्षण एवं जन-कल्याण के विषयों से जुड़े रहते हैं।