बीबीसी टाइम्स इन उज्जैन 6 सितंबर 2022
उज्जैन। हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के बाद आने वाली एकादशी को डोल ग्यारस महापर्व आता है। श्रीकृष्ण जन्म के 18वें दिन माता यशोदा ने उनका जल पूजन किया था। इसी दिन को ढोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। कहीं-कहीं पर इसे सूरज पूजा भी कहते हैं। डोल ग्यारस को जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्री कृष्ण मन्दिरो मे विशेष पूजन अर्चन के साथ धौल धमाको के साथ फुल डोल चल समारोह निकाले जाते है जिसे देखने के लिए लोग बेसब्री से इन्तजार करते है। इसी क्रम मे शहर में मंगलवार 6 सितम्बर को शाम से डोल ग्यारस चल समारोह निकाला गया। मुख्य रूप से चल समारोह गोपाल मन्दिर से प्रारम्भ होकर टंकी चौराहा, भार्गव चौराहा, खजूरवाली मस्ज़िद, अब्दालपुरा, जीवाजीगंज, लालबाई फूलबाई मार्ग होते हुए सोलह सागर पहुंचा। इसी प्रकार फ्रीगंज से प्रारम्भ होने वाला डोल चल समारोह किशनपुरा एवं तीन बत्ती चौराहे से आकर टॉवर चौक पर एकत्रित हुआ। वहां से देवासगेट, मालीपुरा, नई सड़क होते हुए बड़े गोपाल मन्दिर पर एकत्रित होकर सोलह सागर पहुंचा।
इसके पहले चल समारोह मे डोल का पूजन कर पुष्पो से सजाया गया उपरांत रास मंडलो,अखाड़ो एवं झिलमिलाती झाकियौ का कारवां निकला। जिसमे अखाड़ो के खलिफाओ एवं उनकी टीम के द्वारा प्रत्येक क्षेत्र की अलग अलग झाकियौ के साथ चल समारोह मे प्रस्तुतीया दी गई।
धार्मिक एवं देश की संस्कृति का परिचय देती हुई मनोहारी झाकिया निकाली गई जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या मे जनसमुदाय देर रात तक शहर के हृदय स्थल टांवर पर उपस्थित रहा। जहा विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनो के द्वारा अखाड़ो के खलिफाओ का साफा बान्धकर सम्मान किया गया व सर्वश्रेष्ठ झाकी निर्माता को सम्मानित भी किया गया।
झाकियौ का कांरवा धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए अलसुबह तक अपने गन्तव्य तक पहुचा जहा पर पूरे निर्धारित मार्गो पर जिला एवं पुलिस प्रशासन के द्वारा चाकचौबंद व्यवस्थाये की गई थी।