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BBC टाइम्स इन उज्जैन 04 नवम्बर।
उज्जैन। ऋणमुक्तेश्वर मन्दिर के गादिपति को लेकर नाथ सम्प्रदाय के देवानाथ ने परिजनों के साथ चक्रतीर्थ घाट पर शिप्रा नदी में जल सत्याग्रह किया। यहां करीब एक दर्जन से अधिक लोगो ने शिप्रा नदी में उतरकर न्याय की मांग की। दरअसल नाथ सम्प्रदाय के ऋणमुक्तेश्वर मन्दिर के गादीपति गुलाबनाथ ने मरने से पहले देवानाथ के नाम वसीयत लिखकर उन्हें गादिपति बनाया गया था। परंतु नाथ संप्रदाय के अन्य महंतों को यह वसीयत स्वीकार नहीं थी। इसलिए गादीपति को लेकर विवाद खड़ा हो गया। ऋण मुक्तेश्वर मंदिर अब पुलिस व प्रशासन के अधीन है। परिजनों की मांग है कि वसीयत के अनुसार उन्हें गादी सौंपी जाए।
ऋणमुक्तेश्वर निवासी प्रहलादनाथ ने बताया कि 25 अगस्त 2020 को महंत पीर गुलाबनाथ के देवलोकगमन के पश्चात समाधी लगाने हेतु महंत पीर रामनाथ व उनके सहयोगियों को बुलाया था। पीर रामनाथ आए और गुलाबनाथजी की समाधी लगायी और वहीं डेरा जमा लिया। तब सोचा था रामनाथ एक दो दिन में चले जाएंगे लेकिन वे लोग वहीं पर अपना कब्जा जमाकर बैठ गए। 25 अगस्त से आरोपी महंत पीर रामनाथ के द्वारा ऋण मुक्तेश्वर मंदिर व उसकी संपत्ति पर जोर जबरदस्ती से कब्जा किया जा रहा है तथा मंदिर व उसकी संपत्ति पर 26 अगस्त को ताला लगा दिया। मना किया तो विवाद कर रहे हैं तथा मंदिर व उसकी संपत्ति पर बलपूर्वक कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रहलादनाथ पिता कैलाश ने पुलिस, प्रशासन के साथ ही मुख्यमंत्री हेल्पलाईन में शिकायत कर बलपूर्वक किये जा रहे कब्जे पर रोक लगाने की मांग की। साथ ही स्वयं के परिवार की रक्षा, मंदिर व उसकी संपत्ति की सुरक्षा करने का अनुरोध किया लेकिन समस्या का हल नहीं निकला। प्रहलादनाथ ने बताया कि उसके द्वारा ऋणमुक्तेश्वर मंदिर की देखभाल, पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर की एक संपत्ति सर्वे नंबर 489 रकबा 0.251 आरे, सर्वे नंबर 490 रकबा 0.063 आरे, सर्वे नं. 491 रकबा 0.084 आरे, कुल किता 3 कुल रकबा 0.398 हेक्टर है। उक्त संपूर्ण संपत्ति को विधिवत महंत गुलाबनाथ गुरू संतोषनाथ द्वारा रजिस्टर्ड वसीयत पत्र ई पंजीयन नंबर एमपी 432022016 ए 3664271 के माध्यम से प्रहलादनाथ के पुत्र देवानाथ को की गई है। जब तक देवानाथ वयस्क नहीं हो जाता तब तक प्रहलादनाथ मंदिर व उसकी संपत्ति की देखरेख पूजा पाठ आदि करता रहा है। प्रहलादनाथ ने महंत पीर रामनाथ द्वारा किये जा रहे अवैधानिक कब्जे को हटाने की मांग पुलिस, प्रशासन तथा शिवराज सरकार से की है। कहीं भी सुनवाई न होने के कारण प्रहलादनाथ ने देवानाथ तथा अन्य परिजन व सहयोगियों के साथ क्षिप्रा में न्याय के लिए जल सत्याग्रह प्रारंभ किया है। सत्याग्रह के माध्यम से मांग की है कि देवानाथ का अधिकार उसे मिले तथा ऋणमुक्तेश्वर मंदिर से अवैध कब्जा हटे।

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