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BBC टाइम्स इन उज्जैन 22 जनवरी 2022

उज्जैन।नगर निगम के वार्ड 46 स्थित संतराम सिन्धी कालोनी चौराहा के पास हेमू कालानी उद्यान रोड पर मवेशियो द्वारा माँ एवं बेटी को रौंद्ते हुए उन्हे चोटिल करने का मामला सामने आया है ।जानकारी मे सामने आया की शालिनि निवासी हाथिपुरा को मवेशी द्वारा गम्भीर घायल कर दिया गया जिसमे उनकी वृध्द माँ को भी चोटे आई है पृत्यक्षदर्शियो ने बताया की यहा पर इस प्रकार की घटना होना सामान्य बात है रोजाना कई लोग वाहन चालक घायल होकर अस्पताल जाते है लेकिन किसी की भी सुनवाई नही होती।

पहले भी मुद्दा उठा चुका है बीबीसी टाइम्स इन

आपको बता दे की हमारे द्वारा इस मुद्दे को कई बार उठाया जा चुका है लेकिन समस्या है जो जाने का नाम ही नही लेती।दरअसल यह स्थान मवेशियो का चरागाह स्थल बन गया है। रोजाना यहा बड़ी संख्या मे मवेशी विचरण करते हुए देखे जा सकते है और हो भी क्यो नही यहा बड़ी मात्रा मे सब्जी भाजी के ठेले लगते है जिनके चक्कर मे पशु पालक यही पर ही मवेशियो को छोड़ कर चले जाते है जो दिन भर यही सड़को पर लड़ते पडते रहते है। जिससे रोजाना किसी के साथ हादसा होना सामान्य बात हो गई है।कई लोग मवेशियो के द्वारा चोटिल होकर अस्पताल पहुच जाते है लेकिन ये नगर निगम के अधिकारी है जो मुक दर्शक बन सभी बातो को देखकर भी अनदेखा कर देते है कारणवश खमियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है।

निगमकर्मियो की संदेहास्पद कार्यवाही सन्वालो के घेरे मे

पता नही क्या कारण है की निगमकर्मी इन पशु पालको पर कार्यवाही आखिरकार क्यो नही करते।कही न कही यहा निगमकर्मियो की सलिप्तता भी कार्यवाही न होने की ओर इशारा कर रही है या फ़िर राजनेताओ का संरक्षण कही न कही कार्यवाही को प्रभावित कर रहा है ।खैर यह तो आने वाला समय ही बतायेगा की किसकी कड़ी किसके साथ जुड़ी हुई है।वर्तमान मे तो जनता का हाल बेहाल है जिनके दर्द का ईलाज भी नही हो पा रहा उल्टा नित नये जख्म लोगो को अस्पतालों मे मिल रहे है। वो भी कारण सिर्फ गौ माता को आवारा बनाने वाले पशु पालको के कारण।

आखिर किनका संरक्षण है

इन्ही लोगो के कारण गौ माता का आज ये हश्र है जिसे खाने के लिये भी दर दर भटकना पड़ रहा है पशु पालक सिर्फ दुध निकालने के लिये ही है पालने के लिये तो सिर्फ आम जनता है। जो खुद ही इन मवेशियो के शिकार होकर अस्पतालो मे ईलाज करवाने को मजबुर है।और निगमकर्मी मोटी मोटी सैलरी लेकर भी अपना कार्य ईमानदारी से न करते हुए अपने काम से ही बैईमानी कर रहे है और शासन प्रशासन की योजनाओ को सिर्फ कागजो पर दौड़ाकर सरकार को ठेंगा दिखा रहे है।और स्मार्ट सिटी के नाम पर पैसा ऐठ्कर गरीबो के आशियाने ढहा रहे है क्यो की अमीरो और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोगो पर तो इनका रौब चलता नही तो दिखावे के लिये गरीब जनता को ही मोहरा बनाते है और अपने अधीनस्थो के बीच वाहवाही लूटते है।

निगम गैंग के साथ चलते है पशुपालक


सामान्य तौर पर देखा जाता है की निगमकर्मी पशुओ को पकड़ने के लिये अपनी टीम के साथ फील्ड पर रहते है लेकिन यहा पर सब कुश उल्टा है फील्ड पर निगमकर्मी तो कम पशुपालक ज्यादा मुस्तैद दिखाई देते हैं तभी तो कार्यवाही के दौरान निगम गैंग से पहले ही पशुओं को मुख्य चौराहों से हटाते हुए गलियों में भगा देते हैं और इक्का-दुक्का मवेशी पकड़ा भी जाता है तो आगे जाकर सेटिंग से मवेशी को छोड़ दिया जाता है नतीजतन फिर वही स्थिति वही जनता बेहाल वही रोज के हादसे और अधिकारी मालामाल ।

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