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बीबीसी टाइम्स इन उज्जैन 21 दिसंबर 2021

उज्जैन।शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर सरकार और प्रशासन चाहे जो दावे करे पर इस बार संत समुदाय उनसे एक कदम आगे की सोच रहा है। सरकार व प्रशासन के आश्वासन पर संतों ने शिप्रा शुद्धिकरण के लिए चल रहा धरना भले ही टाल दिया हो पर वे कान्ह नदी के पानी पर पूरी नजर रखने के लिए तैयारी कर रहे हैं।बुधवार को उज्जैन के दो दर्जन से ज्यादा संत देवास और इंदौर जाएंगे। ये सभी संत देवास के इंडस्ट्रियल एरिया में जाकर देखेंगे कि वहां के उद्योगों से नाले में छोड़ा जा रहा पानी कैसा है। संतों के मुताबिक दिन भर उद्योगों का पानी स्टोर किया जाता है और उसे रात में छोड़ा जाता है। यह पानी अशुद्ध होता है।शिप्रा शुद्धिकरण होने तक अन्न त्याग कर चुके महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज ने कहा कि ग्रामीणों इस पानी को गंदा होने बता रहे हैं। हम इस पानी की रिपोर्ट भी लेंगे। दूसरी ओर इंदौर के भानगढ़ ट्रीटमेंट प्लांट भी जाकर वहां साफ होने वाले पानी को चेक करेंगे। इंदौर का ये पानी भानगढ़ में साफ करके कान्ह नदी में मिलाया जाता है। संतों का दावा है कि ये पानी भी पूरी तरह से अशुद्ध होता है।

तीनों जिलों के कलेक्टर को देंगे रिपोर्ट –
महामंडलेश्वर ज्ञानदास ने बताया कि देवास, इंदौर और उज्जैन कलेक्टर को हम हमारी ओर से रिपोर्ट तैयार करके देंगे। इसमें हम शिप्रा में मिलने वाले गंदे पानी की हकीकत बताएंगे।

इंदौर में कमेटी बनाई, जो भी उद्योग पानी गंदा करेगा उस पर जुर्माना –
इंदौर कलेक्टर मनीषसिंह ने कान्ह नदी में मिलने वाले पानी की शुद्धता को जांचने के लिए 6 अफसरों की कमेटी का गठन किया है। इंदौर के सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया का पानी कान्ह नदी में कई जगह मिलता है। ये टीम इन सभी जगह जाकर देखेगी कि गंदा पानी कहां से कान्ह नदी में मिल रहा है। इस दौरान जो भी उद्योग संदेह के घेरे में आएगा उसे नोटिस देकर पूछताछ की जाएगी। जुर्माना भी लगाया जाएगा।

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