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25 को होगा प्रदर्शनी व स्वर साधक संगम का उदघाटन

26 को शहर में निकलेगा भव्य पथ संचलन

*B B C टाइम्स इन* ग्वालियर, 23 नवंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रांत का चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक संगम (घोष शिविर) का आयोजन 25 नवंबर से सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम परिसर शिवपुरी लिंक रोड, ग्वालियर पर किया जाएगा। जिसमें आकर्षण का केन्द्र यहां पर लगने वाली ऐतिहासिक घोष प्रदर्शनी रहेगी। प्रदर्शनी का शुभारंभ 25 नवंबर को सुबह 10.30 बजे मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे करेंगे।

ग्वालियर विभाग संघचालक विजय गुप्ता ने बताया कि इस प्रदर्शनी में चार श्रेणियां होंगी, जिसमें परम्परागत एवं प्राचीन वाद्य यंत्रों का प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शन होगा। इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी में घोष की इतिहास यात्रा को एलईडी के माध्यम से डिजिटल प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में भारत के संगीत के इतिहास में वादकों एवं गायकों का योगदान तथा उनके जीवन परिचय तथा परम्परागत एवं दुर्लभ वाद्य यंत्रों का 40 स्लाइड में चित्रमय प्रदर्शन होगा। यह प्रदर्शनी 25 से 28 नवंबर तक चलेगी, जो आमजन के लिए खुली रहेगी। उन्होंने बताया कि उक्त प्रदर्शनी के इतिहास के बारे में बताने के लिए स्वयंसेवकों व विशेषज्ञों की टोली यहां पर पूरे समय मौजूद रहेगी।

विभाग संघचालक श्री गुप्ता ने बताया कि 25 से 28 नवंबर तक चलने वाले मध्यभारत प्रांत के इस स्वर साधक संगम का उदघाटन 25 नवंबर, गुरुवार को अपराह्न 3 बजे केदारधाम परिसर में होगा। उक्त घोष शिविर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। डाॅ. भागवत 26 नवंबर को ग्वालियर आएंगे और 28 नवंबर तक शिविर में रहेंगे। शिविर में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख सुनील कुलकर्णी तथा अखिल भारतीय सह शारीरिक प्रमुख जगदीश पूरे समय रहेंगे।

ग्वालियर में लगने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वर साधक संगम में भाग लेने वाले घोष वादकों का पथसंचलन 26 नवंबर को निकाला जाएगा। जिसमें प्रांत के 31 जिलों के 550 घोष वादक शामिल होंगे। 26 नवंबर को समस्त शिविरार्थी फूलबाग स्थित वीरांगना लक्ष्मीबाई समाधि स्थल पर एकत्रित होंगे और यहां से पथसंचलन प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ जीवाईएमसी मैदान पर समाप्त होगा।

यह है वाद्य यंत्रों का इतिहास

दिलरूबा- 100 वर्ष

गिटार – 80 वर्ष

तबला एवं डग्गा- 100 वर्ष

रूद्र वीणा- 200 वर्ष

पखावज- 80 वर्ष

शहनाई- 60 वर्ष

सरोद- 100 वर्ष

पैडल हारमोनियम- 100 वर्ष

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