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BBC टाइम्स इन उज्जैन 28 अक्टूबर।

प्रभारी सिविल सर्जन ने निजी अस्पताल में इलाज करने को माना अनुशासनहीनता

जेके अस्पताल प्रबंधन से भी बालिका के इलाज के पर्चे तलब किए जाएंगे

उज्जैन।चरक अस्पताल के शिशु वार्ड में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एमडी शर्मा द्वारा सात दिन की बच्ची को यहां से रैफर करने और जेके अस्पताल में उसका इलाज किए जाने के मामले में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. महेश मरमट ने संज्ञान लेते हुए डॉ. शर्मा को शोकाज नोटिस जारी किया है, जिसमें लिखा है कि आपके द्वारा मरीज का प्राइवेट अस्पताल में इलाज किया गया है, जो कि अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।

बच्ची की मां रचना और पिता सुभाष निवासी नरवर ने भी बच्ची की मौत के बाद मचे हंगामे के दौरान कहा था कि उनकी बेटी का इलाज डॉ. एमडी शर्मा कर रहे थे। प्रभारी सिविल सर्जन द्वारा जेके अस्पताल प्रबंधन से भी मरीज के इलाज के पर्चे आदि तलब किए जा रहे हैं। बच्ची को 19 अक्टूबर को फ्रीगंज में संचालित संजीवनी अस्पताल से चरक अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया था, यहां उसे एसएनसीयू में भर्ती किया था। डॉ. एमडी शर्मा उसका इलाज कर रहे थे। उन्होंने 21 अक्टूबर को बालिका को चरक अस्पताल से रैफर कर दिया।

विवाद के दौरान डॉ. शर्मा के थाने पहुंचने की भी सूचना

यह सच्चाई भी सामने आई कि शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एमडी शर्मा चरक अस्पताल में पदस्थ रहते हुए निजी अस्पताल जेके अस्पताल में बालिका का इलाज कर रहे थे। यही नहीं विवाद में डॉ. शर्मा माधवनगर थाने भी पहुंचे थे। निजी अस्पताल में मरीज का इलाज करने के मामले में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. मरमट ने डॉ. शर्मा को शोकॉज नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

इस मामले में डॉ. एमडी शर्मा से संपर्क करना चाहा तो उनका मोबाइल बंद मिला। चरक अस्पताल के शिशु वार्ड के प्रभारी डॉ. यूपीएस मालवीय से डॉ. शर्मा की ड्यूटी का ब्याैरा चाहा तो उन्होंने पहले तो कहा कि मैं देखकर बताता हूं, बाद में बताया कि 23 अक्टूबर काे डाॅ. शर्मा की ड्यूटी चरक अस्पताल में नहीं थी।

बिल के बदले शव रोके जाने पर हुआ था हंगामा

परिवार के लोग बालिका को सांवेर रोड स्थित जेके अस्पताल में ले गए थे, यहां भी चरक अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शर्मा ने ही बालिका का इलाज किया। 23 अक्टूबर को बालिका की यहां पर इलाज के दौरान मौत हो गई थी। जेके अस्पताल का 35 हजार का बिल बना था, जिसमें परिजनों ने आठ हजार रुपए जमा करवा दिए थे, 27 हजार रुपए बाकी थे। शेष राशि के लिए अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से इंकार कर दिया था। इसे लेकर परिजनों ने हंगामा कर दिया था।

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