*B B C टाइम्स इन* रतलाम 27 अगस्त सांसद गुमानसिंह डामोर ने रतलाम के प्रमुख उद्योगपतियों से वर्चुअल संवाद स्थापित किया। रतलाम में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए। उद्योगपतियों ने उद्योग संचालन में आ रही परेशानियों से अवगत कराया। उन्होंने सांसद को समस्याओं के हल भी सुझाए। उद्यमियों ने उम्मीद जाहिर की है कि समस्याए हल होने से रतलाम के औद्योगिकीकरण को संबल मिलेगा।
वर्चुअल संवाद का आयोजन उद्यम संवाद के तहत किया गया था। इसमें रतलाम लगभग 70 उद्योगपति शामिल हुए। इनमें गुस्ताद अंक्लेसरिया, संदीप व्यास, नरेश झालानी, वीरेंद्र पोरवाल, प्रवीण कटारिया, वरुण पोरवाल, संस्कार कोठारी, अभिजीत मल्होत्रा, संजय व्यास, नीलेश सेलोत प्रमुख हैं। इन सभी ने सांसद को रतलाम के औद्योगिक विकास के स्वर्णिम पलों की जानकारी दी। उद्योगपतियों ने समस्याएं गिनाते हुए उनके समाधान की अपेक्षा जताई। उनका कहना था कि यदि समस्याओं का समाधान होता है तो रतलाम के औद्योगिक विकास को फिर पंख लग सकते हैं। उन्होंने आत्म निर्भर भारत अभियान में सहभागी बनने की अपनी वचनबद्धता भी दोहराई।
सांसद डामोर ने वर्चुअल संवाद में उद्योगपतियों द्वारा उन्हें बताई गई समस्याओं के निराकरण के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि वे उद्योगपतियों से प्रत्यक्ष मुलाकात भी करेंगे। उद्योगपतियों से प्राप्त सुझावों का ड्राफ्ट तैयार कर संबंधित विभागों से चर्चा करेंगे।
गुस्ताद अंकलेसरिया
रतलाम अल्कोहल प्लांट की भूमि एकेवीएन द्वारा उद्योग लगाने हेतु दी जा रही है। इसकी दर रतलाम शहर के औद्योगिक क्षेत्र की अन्य भूमि नमकीन क्लस्टर आदि से बहुत ज्यादा है। दर ऐसी हो कि उद्योगपति यहां पर भूमि प्राप्त करने में रुचि लें और कारखाना स्थापित कर सकें। वर्तमान में अल्कोहल प्लांट की करीब 30 हेक्टेयर भूमि में 19 हेक्टेयर जमीन लगून की है। यह एकेवीएन को दी गई है। 11 हेक्टेयर पर अल्कोहल प्लांट का स्क्रैप रखा है। पास में अल्कोहल प्लांट द्वारा कर्मचारियों को आवंटित कॉलोनी की भूमि भी है जिसकी वर्तमान में कोई उपयोगिता नहीं है। अतः उसे शीघ्र जिला उद्योग केंद्र (DIC) के अंतर्गत दिया जाए। आपके मार्गदर्शन में डीआईसी को अल्कोहल प्लांट की जमीन को विकसित कर दूसरे कारखाना लगाने के इच्छुक उद्योगपतियों को आवंटित करने के निर्देश दिए जाएं।
संस्कार कोठारी
रतलाम में उद्योगों के विकास में सबसे बड़ी समस्या पानी और बिजली की रही है। यह समस्या 40 वर्ष से बनी हुई है। जब तक इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं होता, तब तक बेहतर परिणाम की उम्मीद करना बेमानी है। इसलिए सबसे पहले इस दिशा में प्रयास होना चाहिए। बिजली आपूर्ति निर्बाध होने के साथ ही अन्य शहरों की तरह उद्योगों को उचित दर पर मिलनी चाहिए। इसी प्रकार उद्योगों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
वीरेंद्र पोरवाल
राज्य शासन द्वारा हर उद्योग से प्रतिवर्ष 10 रुपए स्क्वेयर मीटर के मान से संधारण शुल्क लिया जा रहा है। यह लेने का उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्र के मेंटेनेंस करना है। वर्तमान में रतलाम के उद्योगपतियों द्वारा 1 करोड़ से अधिक संधारण शुल्क उद्योग विभाग को दे दिया गया है। इससे रतलाम औद्योगिक क्षेत्र में बिजली और पानी की समस्या का निराकरण हो सकता है। रतलाम के आसपास जामन पाटली बाजना रोड आदि क्षेत्रों में पड़त भूमि है। यहां 500 से 1000 मेगावाट के सोलर प्रोजेक्ट लग सकते हैं। इससे बिजली का भी उत्पादन होगा एवं पड़त जमीन का भी सदुपयोग हो सकेगा।
संजय व्यास
निवेशकों को कई बार अनुमतियों के लिए परेशान होना पड़ता है। इससे उनका समय और रुपया दोनों को नुकसान होता है। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जिला स्तर पर एम. एस. एम. ई. बोर्ड का गठन किया गया है। इस बोर्ड का प्रभावी ढंग से संचालन किया जा तो सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। बोर्ड की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाना भी जरूरी है। इसके बाध्यम से एक छत के ही नीचे उद्योगपतियों को हर तरह की अनुमतियां मिलने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे उद्यमियों को निवेश करने में सहूलियत होगी और उनका समय और रुपया बचेगा।
नरेश झालानी
डीएमआईसी में रतलाम-नागदा कॉरिडोर नाम से स्कीम चिन्हित है। इसमें रतलाम से नागदा तक डेवलपमेंट होना है। इसे जल्द लागू करवाएं। दिल्ली-मुंबई 8 लेन रतलाम जिले से गुजर रहा है। इसके दोनों तरफ (विभिन्न शहरों में जहां से यह गुजर रहा है) इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट का प्रावधान हैl एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी जी के संबोधन में सोया बेस्ड फूड इंडस्ट्रीज की प्रगति की ओर ध्यान केंद्रित किया गया था। इसमें रतलाम शहर व आसपास सहभागिता बढ़ सके, इसके प्रयास हों। रतलाम जिले में 10 से 12 प्रकार की फसलें फल संबंधी होती हैं। अतः यहां फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स को बढ़ावा दिया जाना उचित होगा।
प्रवीण कटारिया
उद्योगपतियों व श्रमिकों को औद्योगिक क्षेत्र में रात के समय आने-जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अतः रात में स्ट्रीट लाइट चालू रखने का प्रावधान हो। उद्योगपतियों से जो संधारण शुल्क उद्योग विभाग द्वारा लिया गया है उससे स्ट्रीट लाइट के बिल का भुगतान किया जाए। इससे यह समस्या समाप्त हो सकती है। भविष्य में यहां मालगोदाम स्थापित होने पर यहां के औद्योगिक क्षेत्रों में काफी यातायात भी बढ़ जाएगा। इसीलिए औद्योगिक क्षेत्र में आने-जाने के सभी रास्तों का डमरीकरण कर सभी रास्ते खोल दिए जाने चाहिए। इससे आवाजाही में दिक्कत नहीं होगी।
नीलेश सेलोत
रतलाम नमकीन के लिए देश-विदेश में ख्यात है। बावजूद यहां का कोई प्रोडक्ट देश और विदेश स्तर पर स्थापित नहीं है। इसलिए इस सेक्टर को बढ़ावा देने के प्रयास होने चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार के माध्यम से ही रतलाम शहर में किसी बड़े मैन्युफ्रैक्चरर और प्लेयर को स्थापित करना चाहिए। ऐसा करने से रतलाम के नमकीन उद्योग को देश और विदेश में एक नाम हासिल होगा।
अभिजीत मल्होत्रा
निजी औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शासन की ओर से अनुदान का प्रावधान है। यह फिलहाल बहुत कम है। इसे तत्काल प्रभाव से बढ़ाया जाना चाहिए। निजी निवेशकों को भी निजी औद्योगिक क्षेत्र के विकास हेतु आमंत्रित किया जाना चाहिए। रेलवे माल गोदाम आने की वजह से आसपास की औद्योगिक इकाइयों में आने-जाने की समस्या उत्पन्न होने लगी है। इससे सुरक्षा की दृष्टि से भी दिक्कत आ सकती है। अतः इसका कोई ठोस उपाय निकाला जाए।
संदीप व्यास
औद्योगिक विकास को लेकर योजनाएं तो काफी बनती हैं। अभी भी कई योजनाएं हैं, लेकिन इनका जमीनी स्तर पर अमल नहीं होने से उनका लाभ निवेशकों को नहीं मिल पाता है। आपके माध्यम से मेरा राज्य सरकार से यही निवेदन है कि जो भी योजनाएं हैं उनका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन किया जाए। उन योजनाओं के प्रावधानों पर सही तरीके से अमल किया जाए। इससे काफी हद तक समस्याओं का निदान हो सकता है।
वरुण पोरवाल
रतलाम का औद्योगिक क्षेत्र प्रमुख औद्योगिक कारखानों का गढ़ रहा है। यहां काफी वर्षों से बिजली और पानी की कमी की समस्या है। उद्योगपतियों की रतलाम-झाबुआ सांसद से यही अपेक्षा है कि इन समस्याओं के स्थाई समाधान को लेकर ठोस प्रयास हों। शासन द्वारा नए औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने की पहल की गई है जो सराहनीय है लेकिन पुराने औद्योगिक क्षेत्रका समुचित रख-रखाव किया जाना भी बहुत जरूरी है। पुराने औद्योगिक क्षेत्र में मूल-भूत सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए।