BBC टाइम्स इन उज्जैन 12 अगस्त 2021
उज्जैन।उज्जैन के विख्यात श्री महाकालेश्वर मंदिर के आंगन में चल रही खोदाई में जलाधारी शिवलिंग मिलने से यहां पहले से ही मंदिरों की शृंखला होने की संभावना को बल मिला है। पुरातत्वविदों के मुताबिक यह 9वीं शताब्दी का शिवलिंग है। इस शिवलिंग और खोदाई वाले स्थान पर फिलहाल और शोध कराया जा रहा है। मंदिर प्रशासन का इस बारे में कहना है कि शिवलिंग सुरक्षित है।
वहां के दुर्गेंद्र सिंह जोधा ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण का कार्य किया जा रहा है। इसी के चलते वहां कई दिनों से खोदाई कराई जा रही थी। मंगलवार को खोदाई के दौरान अंदर एक शिवलिंग मिला। मंगलवार को पुरातत्व अधिकारी धुर्वेंद्र जोधा उज्जैन पहुंचे और अपनी देख रेख में उसको साफ करवाया।
उन्होंने बताया कि पहली नजर में यह शिवलिंग 9वीं या 10वीं शताब्दी का लग रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह शिवलिंग यहां मिले 11वीं शताब्दी के मंदिर से अलग है।
दो दिन पहले तेज बारिश के चलते विभाग ने यहां खोदाई का काम बंद कर दिया था। लगातार बारिश के चलते मिट्टी के हट जाने से शिवलिंग दिखाई देने लगा था। बताया जा रहा है कि भूगर्भ से शिवलिंग निकलने के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है कि यहां पहले से ही मंदिरों की शृंखला रही है
शिवलिंग के बारे में पुरातत्त्ववेत्ता शुभम केवलिया का कहना है कि “इसका ऊपरी भाग टूटा हुआ है। प्रतिमा विज्ञान के अनुसार शिवलिंग के तीन भाग हैं, ब्रह्मा- विष्णु- महेश हैं। इसमें जो ऊपरी गोलाकार भाग टूटा हुआ है वह महेश या शिव भाग है।”
कहा, “जलाधारी का मुख स्वाभाविक रूप से उत्तर दिशा की ओर है। इससे पहले निकलीं मूर्तियां भी खंडित ही रही हैं। सुरक्षित रहीं सभी मूर्तियां मराठा काल में बने नवीन मंदिर में रखवाई गई हैं। खोदाई में क्षतिग्रस्त प्रतिमा, पुरासंपदा का प्राप्त होना, इस बात का प्रमाण हैं कि 11वीं-12वीं शताब्दी में महाकाल मंदिर पर आक्रांताओं ने आक्रमण किया था। इस बात के हमारे पास अब प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।”
मध्यप्रदेश की प्राचीन नगर उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव का दिव्य स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू और अत्यंत जाग्रत है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां दक्षिणमुखी शिवलिंग स्थापित है।