*B B C टाइम्स इन* रतलाम 3 अगस्त 2021।श्री सौभाग्य तीर्थ सागोद रोड पर मालव केसरी, जैन सुधाकर, श्रमण संघ के मूर्धन्य सूत्रधार, पुज्य गुरूदेव श्री सौभाग्यमलजी म.सा. की 37 वीं पुण्य तिथि तप-त्याग के साथ श्रद्धापूर्वक मनाई गई| दिन भर गुरु देव की समाधि पर भक्तों का तांता लगा रहा
प्रात: 9 से 10 बजे तक जाप किया गया| इसके बाद गुणानुवाद सभा हुई| इसमें वक्ताओं ने कहा कि मालव केसरीजी त्याग,तप और प्रेम के प्रतीक थे| उनके सानिध्य में आने वाला व्यक्ति कभी उन्हें भुला नहीं सकेगा।
मालव केसरी जी के पुण्य स्मरण दिवस पर नासिक,धुलिया,पीपलगांव,राजगढ़,बदनावर ,नागदा जंक्शन ,खाचरोद,नागदा(धार ),उज्जैन आदि दूरदराज के क्षेत्रों से पुज्य गुरूदेव के भक्तजन सौभाग्य तीर्थ पर पहुंचे| खाचरौद से नवयुवकों का एक विशाल जत्था पैदल यात्री संघ के रूप में संयोजक मोहित जैन के नेतृत्व में आया| श्री धर्मदास जैन मित्र मण्डल ट्रस्ट श्री सौभाग्य जैन साधना एवं जनकल्याण परिसर, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मण्डल, श्री सौभाग्य प्रकाश भक्त मण्डल, श्री सौभाग्य जैन महिला मण्डल, बालिका व बालक मण्डल के तत्वावधान में गुणानुवाद सभा हुई| इसमें खाचरोद के हर्षित चोरडिया, श्री सौभाग्य तीर्थ के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार गादिया, पूर्व अध्यक्ष प्रकाश मूणत ने पूज्य गुरुदेव के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला| उन्होंने मालव केसरीजी द्वारा बताए गए मार्ग पर सतत चलने का आव्हान किया| राजमल चोपड़ा एवं स्नेहलता धाकड़ ने स्तवन प्रस्तुत किए|
गुणानुवाद सभा में तपस्वी पारसमल छाजेड़ बदनावर(9उपवास ),अनिल कुमार छाजेड़ व कुसुम छाजेड़ (11 उपवास ) तथा पैदल यात्री संघ के मोहित जैन एवं नागदा के कन्हैयालाल भंडारी का सम्मान किया गया| प्रभावना का वितरण सुशीला बाई हस्तीमल भंडारी मेघनगर,हेमंत कुमार तुषार कुमार पारीख नासिक एवं श्री सौभाग्य तीर्थ ट्रस्ट द्वारा किया गया| स्वल्पाहार के लाभार्थी पारसमल नलवाया परिवार रहे |
इस अवसर पर ट्रस्ट के महेन्द्र गादिया, रमणलाल बोहरा, आजाद मेहता, रंगलाल चौरड़िया, कन्हैयालाल गांधी, संदीप चौरड़िया हंसमुख शाह, कुंदन चौरड़िया, कांतिलाल मण्डलेचा, नवयुवक मण्डल के अध्यक्ष निलेश मेहता, मंत्री राजेश बोरदिया, अश्विन गंग, महिला मण्डल अध्यक्ष कांता चौरड़िया, मंत्री मीना भण्डारी एवं भक्त मण्डल के हर्ष मूणत, सौम्य चत्तर आदि मौजूद रहे |सभा का संचालन रखब चत्तर ने किया आभार ट्रस्ट के मंत्री आनंदीलाल गांधी ने माना|